Pages

Sunday, August 26, 2012

डॉ. शेफालिका वर्मा - प्रीति ठाकुरक मैथिली चित्रकथा


प्रत्येक भाषामे किछु एहेन रचनाकार होएत छथि, महिला वाकि पुरुष-वर्ग, अपन विलक्षण प्रतिभाक कारण सभसँ फराक बुझा पडै़त छैथ। ई दोसर बात थि‍क की आलोचक वर्ग महिला लेखनकेँ इतिहासक पन्नाक एकटा कोन दऽ दैत छथि‍। किछु भाग्यशाली लेखिकाकेँ किछु स्थानो भेट जाइत छैक, मुदा, समग्रतामे नै। लेखनमे महिला पुरुष नै होइत छैक, जइ विषएपर  लेखक लिखैत छैथ, आेइपर लेखिका सेहो लिखैत छथि‍, कखनो बेसी नीक, बस, आब एकेटा प्रतीक्षा अछि जे कोनो सशक्त महिला आलोचककेँ देखी, जे महिला नै भऽ मात्र आलोचक रहथि‍, पूर्वाग्रहसँ रहित नीक आलोचनाकेँ जन्म दैत। मैथिली साहित्यक इतिहासमे चारि चान लगाबथि‍, हम जनैत छी एहेन विद्वान लेखिकाक कमी नै अछि......
आइ प्रीति ठाकुरक मैथिली चित्रकथा, गोनुझापर पोथी देखि‍ चमत्कृत भऽ गेलौं। पहिने तँ हम मैथिलीक नेना भुटका लेल कोमिक्स बुझ्लौं, मुदा पढ़ए लगलौं तँ एकरामे डूबी गेलौं गागरमे सागर...। अद्भुद.. मैथिली लोकगाथाक विपुल संसारकेँ शिवक जटाजूट जकाँ कोना समेटी लेने छथि‍, ई पढ़ला उप्रानते बुझा पडत। कतेक कथाक खाली नाओं सुनने छलौं, ओ सभ ऐ‍ पोथीमे साकार छल। जहिना आजुक समाज अकबर बीरबलकेँ बिसरि रहल अछ, ओहिना गोनू झाकेँ।
प्रस्तुत पोथिक माध्यमसँ पाठक अपन समाजक सभ वर्गक आदर्शकेँ चीन्हि‍ सकैत छथि‍।
प्रीति जीकेँ अशेष शुभकामना एतेक सुन्दर पोथी लेल, प्रीतिजी आ गजेन्द्रजी सँ हम एकटा आग्रह करबनि‍ जे कोसी नदी लेल बड़ खिस्सा कथा समाजमे पसरल छैक, ओकरो चित्रकलामे समेटि‍ लथि‍। कोसी नदीक रहस्यमय चरित्र, सिंघेश्वर बाबासँ बि‍याह आदि, आदि खिस्सा सभ.....जहिना समाजक प्रत्येक क्षेत्रमे नारी आइ निरंतर आगू बढ़ि‍ रहल छथि, ओहिना मैथिली मिथिलाक विकासमे आजुक नारी अपन अपन स्तरसँ अमूल्य योगदान दऽ रहल छथि‍। अशेष साधुवाद, प्रीतिजी, असंख्य शुभाशंसा.........।

No comments:

Post a Comment