श्रीमती प्रीति ठाकुरक दू गोट सचित्र कथा संग्रह -मैथिली चित्रकथा एवं गोनू झा आ आन मैथिली चित्रकथा देखलौं आ पढ़लौं । चित्रक माध्यमे कथाक प्रस्तुति एकटा अभिनव प्रयोग थिक जे लोककेँ, विषेषतः बच्चा सभकेँ अपना दिस आकृष्ट करत।
खिस्सा पिहानी कहबाक आ सुनबाक परंपरा मिथिलामे अदौसँ चल आबि रहल अछि। बूढ़ पुरान स्त्रीगण लोकनि छोट-छोट बच्चा सबहक े ँ सुतयबाक काल नाना प्रकारक खिस्सा सभ सुनबैत छथि जे मनोरंजनक संग संग उपदेषप्रद एवं षिक्षाप्रद सेहो रहैत अछि। आेइ खिस्सा सभमे प्रसिद्ध अछि -दैत्य सभक खिस स्सा, राज कुमार सबहक खिस्सा, रामायण महाभारतक खिस्सा, गोनू झाक खिस्सा प्रभृति। उच्च विद्यालय एवं महाविद्यालयमे प्रवेष कयलाक बाद छात्र-छात्रा लोकनि स्वयं कथा पढ़ैत छथि, बुझैत छथि, ओकर रसास्वादन करैत छथि आ समैपर लोककेँ सेहो सुनबैत छथि।
मैथिलीक संग विडम्वना ई अछि जे महा विद्यालय एवं विष्वविद्यालय स्तरपर लोक विषयक रूपमे मैथिली रखितो अछि, पढ़ितो अछि किन्तु विद्यालय स्तरपर सरकारी घोसनाक बादो लोक ने मैथिली विषयक रूपमे रखैत अछि आने मैथिली माध्यमे कोनो आने विषय पढ़ैत अछि। एतेक धरि जे मिथिलांचलक विद्यालय सभमे गुरुओजी लोकनि मैथिलीमे पढ़यबामे हीनताक बोध करैत छथि। नव युवक लोकनि बियाह होइतहि पत्नीक संग हिन्दी झारय लगैत छथि। कनेक पढ़ल लिखल आ पदवीबला लोक सभकेँ देखबनि जे अपनामे जँ मैथिलीयोमे गप्प करताह तँ बच्चा सभसँ निष्चय रूपसँ हिन्दीमे। हुनका सभकेँ ई नै बुझाइत छन्हिे जे मैथिली भाषा कठिन छैक। एकर समुचित ज्ञान जँ बच्चामे नै होयतैक तँ बादमे होयब कठिन छैक । कवीष्वर चन्दा झा अमैथिलीभाषी(अन्यदेषीयक)क हेतु मैथिली भाषा ओहने कठिन कहलनि अछि जेहन एकटा इचना माछक बच्चाक हेतु समुद्रक सभटा जलकेँ पीयब छैक-
भाषा यदन्यदेषीयोः मिथिलायाः भवेत्तदा।
प्ीतमिंचाकपोतेन समस्तं वारिधेर्जलम्।।
जतय धरि हिन्दीक प्रष्न अछि तँ ओ तँ राष्ट्रªभाषा थिक । अनिवार्य विषय थिक। ओकर ज्ञान तँ स्वतः प्रत्येक व्यक्तिकेँ होयतैक आ रहिते छैक।
एहन स्थितिमे श्रीमती प्रीति ठाकुरक उपर्युक्त विवेच्य पोथी देखि हमर मन गदगद भए गेल। गोनू आ आन मैथिली चित्रकथामे कुल १६ गोट कथा अछि जइमे गोनू झासँ सम्बद्ध नओ गोट कथा, महाकवि कालिदाससँ सम्बद्ध एक गोट आ शेष छओटामे राजा सलहेस, नैका बनिजारा इत्यादि प्रमुख चर्चित कथा सभ काल्पनिक चित्रक माध्यमे चित्रित कएल गेल अछि। ऐ सभ कथामे किछु बात तँ शब्दक माध्यमे अभिव्यक्त कएल गेल अछि आ किछु गप्प चित्र स्वयं कहैत अछि। ऐ कथा सबहक प्रसंग जे लोकक मनमे एकटा भावचित्र छल होयतैक से एतय बूझि पड़ैत अछि जेना साकार भए उठल हो।
विदुषी कथा लेखिकाक दोसर संग्रह थिक मैथिली चित्रकथा जइमे कुल १० गोट प्रमुख कथा सभ वर्णित अछि। ऐ कथा सबहक बीच बीचमे काल्पनिक चित्र सबहक समायोजन कथाक यथार्थताकेँ प्रमाणित करैत अछि। ऐ संग्रहमे संग्रहित महत्वपूर्ण कथा सभ थिक -राजा सलहेस, बोधि कायस्थ, दीना भदरी, नैका बनिजारा, विद्यापतिक आयु अवसान प्रभृति।
हमरा पूर्ण विश्वास अछि जे उपर्युक्त दुनू कथा संग्रह बच्चा सभकेँ तँ आकृष्ट करबे करत अपितु समाजक सभ वर्गक लोककेँ एक बेर एकरा उलटयबाक लिप्सा होयबे करतैक। ऐ दिशामे श्रीमती ठाकुरक स्तुत्य प्रयास अछि, साहसिक डेग अछि आ अभिनव प्रयोग अछि। हमर शुभकामना अछि जे कथा लेखिका एहने सरस, सहज आ सजल रचना सभसँ मैथिली साहित्यक भण्डारकेँ सुरभित करैत रहथि।
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