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Tuesday, March 25, 2014

इति‍हास जेते साफ-सुथड़ा हुअए तेते नीक मुदा...

इति‍हास जेते साफ-सुथड़ा हुअए तेते नीक। मुदा साफ-सुथड़ाक माने ई नै जे सहीपर ओढ़नी ओढ़ा लेलौं, खास क' तखनि‍ जखनि‍ ओ अप्‍पन जाति‍क लोकक सवाल हुअए। अपन जाति‍क माने ई जे एकटा ओहेन धारा जइ धाराक अन्‍तर्गत सम्राज्‍यवादी अपन पैठ बनबैत रहल। जइसँ मैथि‍लाक आध्‍यात्‍मि‍क चि‍तंन दबाइत रहल। इति‍हासक बि‍न्‍दु ईहो हेबक चाही जे मि‍थि‍लामे आखि‍र ओ कोन धारा छि‍एे जइक चलतै ऐठामक लोक मौलि‍क कार्यसँ माने मनुखक जीवनसँ जुड़ल, वि‍काससँ जुड़ल काजसँ मि‍थि‍लाक लोककेँ सदति‍ अलग-थलग राखि‍ ओम्‍हर हुलकौल गेल आ हुलकौलो जा रहल अछि‍, जे ओइ सभसँ अलग अछि‍। अपना ऐठाम अखनो माए-बापक सेवा, समाजक सेवा, बुढ़ पुरानक सेवा, पछुआएल लोकक सेवा, बर-बेमारीमे सहायता इति‍यादि‍ मानवीय कार्य दि‍स हमरा सबहक नजरि‍ केते अछि‍ ओ स्‍वयं वि‍चारल जा सकैए। आइए जौं श्रुति‍ प्रकाशनक मालि‍क पोथी प्रकाशन कार्य क' आर्थिक रूपे पछुआएल साहि‍त्‍यकारक सहायता केलनि‍ तँ हुनका हम सभ के नजरि‍ए देखै छी? उलटे हुनका सभकेँ कखनो कोनो तँ कखनो कोनो छेबता लगा-लगा छेबैत रहै छि‍यनि‍!!! मुदा जौं वएह कोनो आन कार्य जे मानवीय कल्‍याणसँ हटल छै, जे मात्र भवलाेकमे महत रखैए, या फेर एकरा अहुना बूझल जाए जे ब्राह्मणवादी बेवहारसँ जुड़ल छै, कि‍छु लोकक मात्र ओइ कार्यसँ कल्‍याण हेते आ कल्‍याण की हेते जे आरो नोकसाने होइ छै आदि‍। खैर...। जौं नागेन्द्र झा-गजेन्‍द्र ठाकुर-ओम प्रकाश झा-अशीष अनचि‍नहार ओइ तरहक कार्यमे सहयोग केने रहि‍तथि‍ तखनि‍ फेर ठीक रहैत! आखरि‍ कि‍ए आ केना? हमरा सभकेँ ऐ रहसकेँ बूझब पड़त आ बूझि‍ इति‍हास लि‍खक चाही। ई बात तँ ठीक जे ज्‍योति‍रीश्वरकालि‍न मि‍थि‍ला आ आजुक मि‍थि‍लामे अन्‍तर आएल, सुधार भेल अछि‍। तइ दि‍नमे आरो स्‍थि‍त बि‍गड़ल छेलै। मुदा आइए गामे गाम केतौ नवाह कीर्तन तँ केतौ अष्‍टयाम, केतौ चण्‍डी यज्ञ तँ केतौ महा चण्‍डी यज्ञ इत्‍यादि‍-इत्‍यादि‍। भतेरे ओहेन-ओहेन काज होइए जइसँ मि‍थि‍लाक चि‍तंन (आध्‍यात्‍मि‍क) पर केते धक्का लागि‍ रहल अछि‍ आ तइ लेल हम सभ के केते दोखी छी सेहो इति‍हासक वि‍षय बनए। जय मि‍थि‍ला, जय मैथि‍ली। -उमेश मण्‍डल

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