‘कथा गंगा’मे सगर राति दीप
जरल-
‘सगर राति दीप जरय’ एक ओहन
मंचक नाओं छी, जइ मंचपर सभ वर्गक साहित्यकार भाग लइ छथि, जाइ-अबै छथि तथा भाषा-साहित्यक विकासक लेल विचार-विमर्श करै छथि। तँए ई ‘सगर राति दीप जरय’ मैथिली भाषा-साहित्यक सभसँ
श्रेष्ठ मंच कहबैत अछि। एकर आयोजन जगह-जगह प्राय: तीन मासक अन्तरालपर १९९० ई.सँ होइत
आबि रहल अछि।
८५म गोष्ठी श्री ओम प्रकाश झाक संयोजकत्व आ मिथिला
परिषद केर प्रस्तुतिमे भागलपुरक द्वारिकापुरी स्थित ‘श्याम कुंज’मे आयोजित भेल जेकर उद्धघाटन वरिष्ठ समालोचक डॉ. प्रेम शंकर सिंह, ‘विदेह’ एवं टैगोर सम्मानसँ
सम्मानित साहित्यकार श्री जगदीश प्रसाद मण्डल, तिलकामाझी
विश्वविद्यालयक मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ. केष्कर ठाकुर, डॉ.
शिव प्रसाद यादव एवं अवकाश प्राप्त शिक्षक दुखमोचन झा संयुक्त रूपे दीप नेसि केलनि।
पछाति एक विशिष्ठ अध्यक्ष मण्डल एवं संचालन समितिक निर्माण करि गोसाउनिक गीत, स्वागत गान एवं स्वस्ति वाचनसँ साँझक छह बजे गोष्ठीक शुभारम्भ भेल, रातिक १२:३० बजे घण्टा भरिक भोजनावकाश भेल, जइ
शुन्यकालमे, भोजनक पछाति, संयोजक- सह
गजलकार ओम प्रकाशजी अपन नव रचित दूटा गजल सुना कथाकार सभ साहित्यकार-साहित्य
प्रेमीकेँ साहित्य-रसमे बोरि देलनि। पुन: कथा पाठ आ समीक्षाक क्रमकेँ आगू बढ़ौल
गेल। जे चलैत-चलैत भिनसर छह बजेमे आबि अध्यक्षीय उद्बोधनक संग संयोजकक धन्यवाद
ज्ञापन तथा दीप-पंजीक हस्तांतरणक पछाति इति भेल। ऐ गोष्ठीमे दूर-दूरसँ आएल
साहित्यकार-कथाकार-समीक्षक एवं श्रोताक तथा स्थानीय साहित्यकार-कथाकारक संग कथा
प्रेमीक बेस जमघट ताधरि बनल रहल जाधरि अगिला गोष्ठीक निर्णयक संग आयोजित गोष्ठीक
समापनक घोषणा नहि कएल गेल।
८६म आयोजन मधुबनी जिला अन्तर्गत फुलपरास प्रखण्डक
महिन्दवार पंचायतक ‘लकसेना’ गाममे होएत, जइमे पहुँचैक हकार दैत भावी संयोजक श्री राजदेव मण्डल ‘रमण’जी कहलनि- ‘अधिक-सँ-अधिक
कथाकार-साहित्यकार-समीक्षक सभकेँ लकसेना गामक ८६म कथा गोष्ठीमे सुआगत छन्हि।’
८५म गोष्ठीक अध्यक्ष मण्डल, संचालन
समिति, कथायात्राक मादे दू शब्द, पोथी
लोकार्पण, कथा पाठ एवं समीक्षा-टिप्पणीक विवरण निच्चाँमे
देल जा रहल अछि-
अध्यक्ष मण्डल-
डॉ. प्रेम शंकर सिंह, श्री जगदीश प्रसाद मण्डल, डॉ. केष्कर ठाकुर, श्री विवेकानन्द झा ‘बीनू’ श्री राजदेव मण्डल,
श्री श्यामानन्द चौधरी।
संचालन समिति-
श्री दुगानन्द मण्डल, श्री पंकज कुमार झा एवं उमेश मण्डल।
कथायात्राक मादे दू शब्द-
प्रो. केष्कर ठाकुर, पो. प्रेम शंकर सिंह, श्री जगदीश प्रसाद मण्डल, श्री विवेकानन्द झा ‘बीनू’
गोसाउनिक गीत-
श्रीमती निक्की प्रियदर्शनी आ स्वीटी कुमारी।
स्वस्ति वाचन-
श्री शिव कुमार मिश्र।
पोथी लोकापर्ण-
अपन मन अपन धन (लघु कथा संग्रह) जगदीश प्रसाद मण्डलक
उकड़ू समय (लघु कथा संग्रह) जगदीश प्रसाद मण्डलक
लोकार्पण कर्ता-
डॉ. केष्कर ठाकुर
डा. प्रेम शंकर सिंह
पहिल
सत्रमे कथा पाठ-
(१)
लगक दूरी- निक्की प्रियदर्शनी
(२)
गहींर आँखिक बेथा- ओम प्रकाश झा
(३)
डोमक आगि- रामविलास साहु
(४)
शिवनाथ कक्काक डायरी- अखिलेश मण्डल।
समीक्षा-टिप्पणी, पहिल सत्रक-
डॉ. शिव कुमार प्रसाद, उमेश मण्डल, डॉ. शिव प्रसाद यादव एवं श्री नन्द विलास राय।
दोसर सत्रमे कथा पाठ-
(५)
हमर बाइनिक विचार- जगदीश प्रसाद मण्डल
(६)
प्राश्चित- गौड़ी शंकर साह
(७)
मजाकेमे चलि गेलौं- लक्ष्मी दास।
समीक्षा-
श्री राम सेवक सिंह, प्रो. केष्कर
ठाकुर, श्री श्यामानान्द चौधरी, डॉ.
प्रमोद पाण्डेय।
तेसर सत्रमे कथा पाठ-
(८)
जीन्स पेन्ट- नन्द विलास राय
(९)
लाल नुआँ- शम्भु सौरभ
(१०) धोइते-धोइते भगवान बना देबइ-
उमेश मण्डल
(११) धर्म आ धार्मिक- दुख
मोचन झा
समीक्षा-
श्री ओम प्रकाश झा, डॉ. प्रेम
शंकर सिंह, डा. शिव प्रसाद यादव, श्री
राजदवे मण्डल।
चारिम सत्रमे कथा पाठ-
(१२)
अनमेल बिआह- शिव प्रसाद यादव
(१३)
मुरझाएल फूल- कपिलेश्वर राउत
(१४)
पुत्रक कर्तव्य- नारायण झा
(१५)
भूख- पंकज कुमार झा
(१६)
बेसी भऽ गेल आब नहि- हेम नारयण साहु।
समीक्षा-
श्री जगदीश प्रसाद मण्डल, श्री
विनोदानन्द झा ‘बीनू’, डॉ. शिव कुमार
प्रसाद।
पाँचिम सत्रमे कथा पाठ-
(१७) भीखमंगा- प्रकाश कुमार
झा
(१८) भोला- ललन कुमार कामत
(१९) विधवा बिआह- बेचन ठाकुर
(२०) होटलमे पुकार- दुखन
प्रसाद यादव
(२१) चोंचाक खोंता- उमेश
नारायण कर्ण
समीक्षा-
श्री श्यामानन्द चौधरी, डॉ. शिव
कुमार प्रसाद, राजदेव मण्डल ‘रमण’
छठिम सत्रमे कथा पाठ-
(२२) अपन घर- राजदेव मण्डल
(२३) चीफ गेष्ट- शिव कुमार
मिश्र
(२४) मायाक तागत- राजदेव मण्डल
‘रमण’
(२५) आमक ठाढ़ि- शिव कुमार
प्रसाद
(२६) हेराएल कोदारि- शिव
कुमार प्रसाद
(२७) डिजाइनवाली कनियाँ-
शारदा नन्द सिंह
समीक्षा-
उमेश मण्डल, नन्द विलास
राय, श्यामानन्द चौधरी एवं हेम नारायण साहु।
समाद-
उमेश मण्डल।