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Friday, May 25, 2012

मैथिलीक भिखारी ठाकुर “रामदेव प्रसाद मण्डल "झारुदार" क “हमरा बि‍नु जगत सुन्ना छै” -समीक्षक गजेन्द्र ठाकुर

मैथिलीक भिखारी ठाकुर “रामदेव प्रसाद मण्डल "झारुदार" ” दै छथि माटि आ कहै छथि “हमरा बि‍नु जगत सुन्ना छै”। 
मैथिली साहित्य वा कोनो भाषाक साहित्यमे झारु नामक काव्य विधा सुनने रहिऐ? रामदेव प्रसाद मण्ड्ल “झारुदार” जीक झारुकेँ छोड़ि कऽ? नै ने! 
  कारण रामदेव प्रसाद मण्डिल “झारुदार” महीसक पीठ, खेतक आड़ि-धूर आ रस्ता चौबटियापर स्वतः स्फूर्त जे नव विधाक आविष्कार केने छथि से समाजक दुर्गुणकेँ खरड़ासँ खरड़बा लेल छै। फुलझाड़ूसँ खरिहान नै बहारल हएत, आ खरड़ा सँ ओसारा नै बहारि सकै छी। लाठीमे राहड़िक डाँटक झारुसँ झोल-झाल साफ कएल जाइए। से तरह-तरहक बाढ़नि, आ खरड़ाक प्रचलन अछि। रामदेव जी गीत सेहो लिखै छथि, आ पनिसोखा सन रंग बिरंगक झारु सेहो। जेहेन समस्या तेहने झारु। आ मैथिलीमे जखन गोत्र-मूलक उपनाम रखबाक प्रवृत्ति किछु नव आ पुरान लेखकमे देखल जा रहल अछि तखन ई “झारुदार” 
उपनाम की सभ बिनु कहने कहि जाइए? 

कविक आत्मविश्वास, हम नै तँ किछु नै। 
हमरासँ पहि‍ले कोनो नै शासन। 
नै छै कोनो धर्मक वि‍धान।। 
हमरा बि‍नु जगत सुन्ना छै। 
हटैबला छै पशु समान।। 

आब ताकि लिअ ऐ झारुमे बौद्ध दर्शनक शून्यवाद आ शंकरक अद्वैत दर्शन! 
हुनका पैसाक रोग नै चाही तँ अंध्विश्वासक रोग सेहो नै। 
सभ बनल छै पैसा रोगी, 
अन्धवि‍श्वास, कुरीतक जोगी 
मुदा ऐ लेल रामक तीर कमान चाही की? कारण तइ लेल तँ रामक अवतारक प्रतीक्षा करए पड़त। नै, स्वयंपर करू विश्वास, कारण जँ समस्या अहाँ छी तँ समाधान सेहो अहीं। 
अहाँ बि‍ना के ई दुख हरतै 
अहींसँ ई सभ दानव मरतै 
कलमकेँ एक बेर फेर बनाबू 
रामक तीर कमान यौ। 
आपसी एकताक महत्व कवि नीक जेकाँ बुझै छथि, मुदा एकता कोना आओत, तकर समाधान देखू: 

एकता बनैले सहए पड़ै छै 
घटो लगा कऽ बहए पड़ै छै 
अपन गलतपर लहए पड़ै छै। 
नारीक स्थिति, से ओ नारी गामक होथि वा नेता ने किए बनि गेल होथि, अखनो टीस उठबैत अछि, आ कवि जँ झारुदार होथि तँ ओइ टीसक वर्ण एना होइत अछि: 
नारी सीता राधा अंश, 
पुरूष बनल छै रावण कंश। 
फेर कोना कऽ चलतै, 
घर दुनि‍याँदारी यौ। 
मुदा तकर उपाय, की पुरुष बदलत नारीक दशा? नै, ई आत्मविश्वास स्वयंनारीमे छन्हि, ओ शिक्षाक डोर पकड़ती 
आ… 
आब नै नारी रहब अनारी, 
बनबै सख्ती कठोर यौ। ना....। 

तँ की वएह नारी, जाति-पाति आदिक समस्या टा पर ध्यान छन्हि कविक? नै, ओ प्रदूषण सन विज्ञानक देनपर सेहो चिन्तित छथि: 

वि‍ज्ञानक ई देन प्रदूषण 
बनि घर घुसल चुहार यौ। 
बाघ बनि‍ ई मुँह बौने अछि‍ 
दुि‍नयाँ बनल सि‍कार यौ 
प्रदूषण कोना कम हएत, सेहो नव खाढ़ीकेँ राह देखबै छथि: 
इंजन हो पूरा कंडीसन
धुआँ नै छोड़ै बेकार यौ। 
करू खि‍याल कि‍छु अगि‍ला पि‍ढ़ी 
कोना रचत संसार यौ। 

आ ऐ पर हुनकर एकटा झारु सेहो छन्हि, ओ वने टा नै वनवासीक सेहो संरक्षण चाहै छथि: 

वन झी‍ल नदी‍ आ वनवासी 
पहार पठार संग रेगि‍स्तान। 
करू सुरक्षा पर्यावरण केर 
सँ देश बनत धनवान।। 

दहेज आ काटर प्रथापर रामदेव जी लिखै छथि: 
आइ हर घरमे सीता रोऐ छै 
राइत-राइत भरि‍ नै जनक सुतै छै 
कतए सँ एतै दहेजक पैसा 
हेतै केना कन्याकदान यौ 
मिथिलापर झारुदारकेँ गर्व छन्हि, कोन मिथिलापर: 
जगतरनी जतए गंगा धारा, ज्योगति‍ लि‍ंग केर जतए उज्या:रा। 
हजरत तुलसी बाल्मिा‍कक गुँजि‍ रहल उपदेश। 

मुदा बिहार अन्तर्गत जे मिथिला छै तकर दशापर झारुदार चिन्तित छथि आ बिहारक मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, जे विकास पुत कहल जाइ छथि हुनका झारुदार किछु देखबऽ चाहै छथि: 
केमरासँ तस्वी‍र बनेबै 
मि‍थिला मैथि‍ल परि‍वार केर। 
तकरा देखेबै पटना जा कऽ 
वि‍कास पुत नीि‍तश कुमारकेँ। 
फोटो बनेबै खेत असि‍ंचि‍त 
सि‍ंचाइ पानि‍ वि‍जलीसँ वंचि‍त। 
मानवता ककरामे हेतै, मानवे मे ने। आ तकरे ने भेटतै दुनियाँक ताज आ सएह ने जीतै बनि झारुदार! 
ताज मि‍लै सम्पू‍र्ण जगतक 
बनि‍ जीबए झारूदार 
मानवमे मानवता होइ तँ 
बदलै नै ओकर अवतार 
तँ झारु आ गीत, जे बोन-झाँकुरमे खेत-पथारमे घुमैत-फिरैत लिखाएल से तँ विशिष्ट हेबे करतै आ ओकर लिखैबलाकेँ से ताज भेटबे करतै। मिथिलाक भिखारी ठाकुर ओइ ताजकेँ पहीरि झारुदार कहेबे करतै। 

-गजेन्द्र ठाकुर १८ मइ २०१२

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