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गुणनाथ झा |
गुणनाथ
झा "लोक मञ्च" मैथिली नाट्य
पत्रिकाक संचालन- सम्पादन केने छथि। मैथिलीमे आधुनिक नाटकक प्रणयन। हुनकर नाटक
कनियाँ-पुतरा, पाथेय, ओ मधुयामिनी,
सातम चरित्र, शेष नञि, आजुक लोक आ जय मैथिली सभक बेर-बेर मंचन भेल अछि। बाङ्गला एकाङ्की
नाट्य-संग्रह- ऐमे बांग्लाक २४ टा नाटककारक २४ टा नाटकक
संकलन ओ सम्पादन अजित कुमार घोष केने छथि आ तकर बांग्लासँ मैथिली अनुवाद श्री
गुणनाथ झा द्वारा भेल अछि।
कनियाँ-पुतरा-
गुणनाथ झा जीक ई पहिल पूर्णाङ्क नाटक थिक। नाटक बहुदृश्य समन्वित
करैबला घूर्णीय मञ्चोपयुक्त अछि। कथा काटर प्रथापर आधारित अछि आ तकर परिणामसँ
मुख्य अभिनेता आ मुख्य अभिनेत्री मनोविकारयुक्त भऽ जाइत छथि, तइ मनोदशाक सटीक चित्रण आ विश्लेषण भेल अछि।
मधुयामिनी:
एकाङ्क नाट्य शैलीमे दूटा पात्र, पुरुष
संयुक्त परिवारक पक्ष लेनिहार आ स्त्री तकर विरोधी। संयुक्त परिवारक पक्ष लेनिहारक
सामंजस्यपूर्ण विजय होइत अछि। ई "लोक मञ्च"
मैथिली नाट्य पत्रिकामे प्रकाशित अछि।
पाथेय:
एकाङ्क नाट्य शैलीमे रचित, मुदा
पूर्णाङ्कक सभ विशेषता ऐमे भेटत। मुख्य अभिनेता मिथिलाक अधोगतिसँ दुखी भऽ गामकेँ
कर्मस्थली बनबैत छथि, स्वजन विरोध करै छथि। मुदा बादमे
पत्नी हुनकर संग आबि जाइ छथिन्ह। भाषा मधुर आ चलायमान अछि।
लाल-बुझक्कर:
एकाङ्क नाट्य शैलीमे रचित। दाही रौदीसँ झमारल निम्न आ मध्य-निम्न
वर्ग स्वतंत्रताक पहिनहियो आ बादो जीविकोपार्जन लेल प्रवास करबा लेल अभिशप्त छथि।
माता-पिता विहीन लाल बुझक्करजी कनियाँकेँ नैहरमे बैसा कऽ आ सन्तानहीन पित्ती
पितियैनकेँ छोड़ि नग्र प्रवास करै छथि।
सातम
चरित्र: एकाङ्क नाट्य शैलीमे रचित। मैथिली रंगमंचपर
महिला अभिनेत्रीक अभाव, सातम चरित्रक प्रतीक्षामे
पूर्वाभ्यास खतम भऽ जाइत अछि। ई "लोक मञ्च"
मैथिली नाट्य पत्रिकामे प्रकाशित अछि।
शेष
नञि: आधुनिक सामाजिक पूर्णाङ्क नाटक। पिता-माताक
मृत्युक बाद अग्रजक अनुजक प्रति पितृवत व्यवहार। अनुज चाकरी करै छथि, परिवर्तनशील सामाजिक परिस्थितिक शिकार भऽ अचिन्तनीय कार्यकलाप करै छथि
आ अग्रज प्रतारित होइ छथि। मुदा अग्रज मरणासन्न पत्नीक प्राणरक्षार्थ साहसपूर्ण
डेग उठा लैत छथि।
आजुक
लोक: पूर्णाङ्क नाटक। विषय निम्नमध्यवर्गीय
बेरोजगारी आ बियाहक दायित्वक बोझ।
जय
मैथिली: पूर्णाङ्क नाटक। मिथिलाक भाषिक-सांस्कृतिक
समस्या एकर कथावस्तु अछि।
महाकवि
विद्यापति: विद्यापतिक नव विश्लेषण।
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