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Sunday, April 8, 2012

ज्योति सुनीत चौधरीसँ साक्षात्‍कार :: मुन्नाजी


मिथिलासँ दूर आ अंग्रेजी माध्यमे शिक्षित मैथिली अनुरागी आ जगजियार होइत मैथिली कवियित्री श्रीमति ज्योति सुनीत चौधरीसँ मुन्नाजी द्वारा भेल अंतरंग गप्प-सप्पक बानगी अहाँ सबहक सोझाँ राखल जा रहल अछि।

मुन्नाजी- ज्योतिजी, अहाँक शिक्षा-दीक्षा अंग्रेजी माध्यमे भेल। संस्कारगत सम्भ्रान्त वा आधुनिकतामे पलि-बढ़ि कऽ अहाँकेँ मैथिली भाषाक प्रति एतेक अनुराग कोना जनमल?

ज्योति सुनीत चौधरी- सभसँ पहिने नमस्कार मुन्नाजी। असलमे मैथिलसँ दूर हम कखनो नै‍ रहलौं। जमशेदपुरमे मैथिल सबहक अपन बड़का टोली छन्‍हि आ बड्ड शानसँ ओ सभ विद्यापति समारोह मनाबैत छथि। हमर परिवारमे जे कियो बेसी नजदीकी छलथि सभ मैथिल छलथि। फेर सालमे एकबेर गाम अवश्य जाइत छलौं। ओतए पितियौत-पिसियौत भाए-बहिन सबहक पुस्तक पढ़ै छलौं। से मैथिली भाषासँ अनुराग बच्चेसँ अछि। भाग्यसँ सासुरो खाँटी मैथिल भेटल अछि। हँ, मैथिलक विकासक विचार हमरामे हमर स्वर्गीय बाबासँ आएल अछि। हमर पितामह जखन मरणासन्न रहथि तखन करीब एक मास हम हुनका लग अस्पतालमे दिनमे अटेण्डरक रूपमे रहेत रही। हम अपन कॉस्टिंगक तेसर स्टेज आेइ अस्पतालमे पढ़ि कऽ पास केने छी। आेइ बीच हुनकासँ बहुत बात भेल आ मिथिलाक विकासक बात सभ मस्तिष्कमे आएल।

मुन्नाजी- मैथिलीमे लेखन प्रारम्भक प्रेरणा कतएसँ वा कोना भेटल। पहिलुक बेर अहाँ की लिखलौं आ की/कतए छपल।

ज्योति सुनीत चौधरी- यद्यपि हम पहिल मैथिली कविता विद्यालयकालमे भारतवर्षपर लिखने रही जे बड़हाराबला मामाजी (चाचीजीक भाय) केँ देने रहियनि आ किछु कारणवश ओ प्रकाशित नै‍ भेल। परन्तु मूल रूपसँ मैथिलीमे लेखनक प्रेरणा सम्पादक महोदय गजेन्द्रजी सँ भेटल। बादमे ज्ञात भेलजे गजेन्द्रजी बहुतो लेखकक खोज केलनि आ बहुतोसँ मैथिलीमे लिखबा लेलनि। हमहूँ ओइमे सँ एक छी। हमर पहिल कविता हिमपातअछि जे विदेह डॉट कॉम क पाँचम अंकमे १ मार्च २००८ केँ प्रकाशित भेल।

मुन्नाजी- कविता तँ लोकक स्वाभाविक जीवनधारासँ प्रस्फुटित होइत रहैत छैक आ चिन्तनशील लोक ओकरा लयवद्ध वा अक्षरवद्ध कऽ लइए। अहाँक पद्य-संग्रह अर्चिस्मे कविताक संग अहाँक हाइकू देखि‍ आह्लादित भेलौं। हाइकू लिखबाक सोच कोना/ कतए सँ बहराएल।

ज्योति सुनीत चौधरी- बहुत-बहुत धन्यवाद जे अहाँकेँ हमर हाइकू नीक लागल। पहिने पोइट्री डॉट कॉममे सभ दिन एकटा प्रााकृतिक दृश्यक फोटो देल जाइत छलै आ आेइ फोटोसँ प्रेरित भऽ हाइकू लिखक प्रतियोगिता होइत छल। अहुना हमरा प्राकृतिक सुन्दरतापर लिखनाइ पसिन छल से भोरे अपन घरक काज समाप्त कऽ जखन हम कॉफी लेल बैसै छलौं तँ मेल चेक करैकाल हम आेइ साइटपर जाइ छलौं आ सभ दिन एकटा हाइकू लिखैत छलौं। आेइ क्रममे चारि मासमे सएटा हाइकू जमा भऽ गेल जे विदेहक बारहम अंक (१५ जून २००८), जे हाइकू विशेषांक छल, मे छपल।

मुन्नाजी- मिथिले नै भारतसँ दूर लंदनमे मैथिली पढ़बा-लिखबाक जिज्ञासा कोना बनल रहैए। अहाँ गृहणी रहैत- घर द्वार सम्हारैत कोना रचनाशील रहैत छी?

ज्योति सुनीत चौधरी- एक गृहिणी लेल स्वतंत्र लेखिकासँ बढ़िया आर कोन काज भऽ सकैत छै आर विदेहमे कखनो हमरापर कोनो विषय विशेषपर लिखए लेल वा समैक बन्धनक दवाब नै‍ छल। फेर ई तँ सौभाग्य अछि जे अन्तर्जालपर मैथिलीक प्रवेशसँ आब विदेशोमे रहि कऽ अपन भाषा साहित्यसँ नजदीकी बनल रहैत अछि। ईश्वरक आशीर्वादसँ बच्चा आब पैघ भऽ गेल अछि आ विद्यालय जाइत अछि। सासुर दिससँ कोनो जिम्मेदारी नै‍ अछि। पतिदेव सेहो घरक कार्यमे सहयोग दैत छथि तैं गृहिणी भेनाइ लेखन कार्यमे अवरोधक नै‍ बनैत अछि।

मुन्नाजी- मैथिल संस्कृतिक तुलनामे अंग्रेजक संस्कृतिक बीच अपनाकेँ कतए पबै छी। दुनूक संस्कृतिक की समानता वा विभिन्नता अनुभव करैत छी?

ज्योति सुनीत चौधरी-  दुनूमे किछु नीक आ किछु खराबी अछि। विदेशमे व्यवहारमे बेसी खुलापन छै मुदा हम अकरा विकसित रूप नै‍ मानैत छी। हम बच्चामे महात्मा गाँधीजी द्वारा रचित एकटा हिन्दी-कथा पढ़ने रही जब मैं पढ़ता था, गान्धीजी इन लण्डनसँ प्रेरित; बहुत सत्य लागल ओ कथा जखन हम विदेशी सभ्यताकेँ बुझैक प्रयास केलौं। अपन संस्कृति बहुत धनी, तर्कसंगत आ मौलिक -original- अछि। बस हम सभ आर्थिक रूपेँ पिछड़ल छी, जकर नैतिक समाधान शिक्षाक विकास अछि। हमर इच्छा अछि जे भने मिथिलाक विकासमे कनी समए लागए मुदा अपन कला, संस्कृति, पाबनि, गीतनाद आदि सभ मलिन नै‍ होअए। हँ कतौ-कतौ सामाजिक कुरीति जेना दहेज, विधवाक जीवनशैली, स्त्री-शिक्षा आदिमे बदलाव चाही। ऐ सभ समस्यामे दहेज समस्या बड्ड बड़का कैंसर अछि जे शिक्षित वर्गकेँ सेहो धेने अछि अन्यथा बाँकि समस्या शिक्षाक विकासक संगे विलीन भऽ रहल अछि।

मुन्नाजी- मैथिलीसँ इतर अहाँकेँ अंग्रेजीमे पोएट्री डॉट कॉम सँ एडीटर्स चॉएस अवार्ड (अंग्रेजी पद्य लेल) भेटल अछि। की अंग्रेजीमे पोएट्री लेखनक निरन्तरता बनौने छी।

ज्योति सुनीत चौधरी- नै‍। हम जहियासँ विदेहमे लिखए लगलौं तहियासँ अंग्रेजीमे लिखबाक समए नै‍ निकलि रहल अछि। इहो कहल जा सकैत छै जे हमरा मैथिलीमे बेसी रूचि अछि अन्यथा where there is will there is a way” अर्थात् जतए चाह ततए राह।

मुन्नाजी- अहाँक नजरिमे मैथिली पद्य विधा आ अंग्रेजी पद्य विधामे की फराक तत्व अछि। दुनू एक दोसरासँ कोन बिन्दुपर ठाढ़ अछि?

ज्योति सुनीत चौधरी- अंग्रेजी पद्य विधा बहुत समृद्ध अछि कारण ओ विश्वव्यापी भाषा अछि। मैथिली पद्य विधा विशेषतः गीतक सेहो अपन अद्भुत आ अनेक रूप अछि जेना कि खिलौना, नचारी, सोहर, गोसाउनि, भगवति, ब्राह्मण, समदाओन, होरी, चुमाउन, छठि आदिक लेल विशेष पद्धति छै। मुदा ऐ‍ सभकेँ ढंगसँ परिभाषित कऽ व्यवस्थित रूपे संग्रहित राखैक अभाव अछि।

मुन्नाजी- ज्योतिजी, अहाँक माध्यमे मैथिली रचनाकारक किछु रचना सबहक अंग्रेजी अनुवाद आ प्रकाशन भेल अछि। किए नै व्यापक स्तरपर मैथिलीकेँ अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाक माध्यमसँ वैश्विक पटलपर अनबाक प्रयास करै छी?

ज्योति सुनीत चौधरी- हमरो ई इच्छा अछि। हम लन्दनक एक अंग्रेजी कवि समुदायसँ जुड़ल छलौं जे बाङ्ग्लादेशी आ डच समुदायक छथि मुदा हुनकर सबहक अत्याधुनिक रहन-सहन (पबमे मीटिंग़-ड्रिंक्स) हमरा ओतेक नीक नै‍ लागल। तैयो हम एक व्यक्तिसँ मेल आ फेसबुकक माध्यमसँ सम्पर्कमे छी। जौं कुनो सुझाव अछि तँ दिअ हम यथासम्भव अपन योगदान देब। ओना इंगलैण्डमे बहुत मैथिल डाक्टर आ आई.टी.क लोक छथि, ओ सभ जरूर पुस्तक किनता। आ बॉलीवुडमे प्रकाशझा जी तँ छथिये। कहियौन हुनका किछु चलचित्र बनाबए मिथिला संस्कृतिपर, मिथिला कलाकृतिपर। गामक हाल चाल तँ बहुत देखाओल गेल अछि। कनी बाहरक मैथिलपर सेहो काज करथि जइ‍सँ जे धनी मैथिल सभ बाहर बैसल छथि से अपन संस्कृति दिस आकर्षित हेता। कहियौन जे अपन फिल्ममे मिथिला पेण्टिंग प्रदर्शित करथि।

मुन्नाजी- अहाँ साहित्यक संग मिथिला चित्रकला आ ललितकलामे निष्णात छी। अहाँ साहित्य आ कला दुनूक बीच की फाँट देखैत छी। दुनूमे केहेन ककर अस्तित्व देखा पड़ैछ?

ज्योति सुनीत चौधरी- धन्यवाद। हम मास्टर तँ नै‍ छी, हँ हम अभिलाषी छी एकर उन्नतिक। साहित्यकेँ बहुत नीक मंच भेट गेल अछि मुदा कला लेल अखनो संकलित आ विश्व स्तरीय ठोस भूमिक आवश्यकता अछि। हम एक बिजनेस प्लैन बनेने छी मुदा आेइ लेल बढ़िया निवेशक आ विपणन कर्ताक आवश्यकता अछि। हम अहाँकेँ अटैचमेण्ट पठा रहल छी आेइ बिजनेस प्लैनक। कतौ गुंजाइश होअए तँ कृपा कऽ उपयोग करू। (नीचाँमे देल अछि)

मुन्नाजी- अहाँ आइ.सी.डब्लू.ए.आइ.डिग्रीधारी छी, अहाँक नजरिमे राष्ट्रीय आ अन्तर्राष्ट्रीय फलकपर मिथिलाक वित्तीय स्थिति की अछि? एकर दशा कोना सुधारल जा सकैछ, ऐ‍ हेतु कोनो दिशा निर्देश?

ज्योति सुनीत चौधरी- अकर जवाब हम बहुत विस्तृत रूपमे देब। अहाँकेँ धैर्यसँ सुनए पड़त। भारतमे विकासशीलताक दोसर स्थानपर अछि बिहार राज्य। आइसँ १०-१५ साल पहिने बाहर रहैबला बिहारीकेँ लाज होइत छलै। एक अशिक्षित आ बेरोजगारीक बहुलताबला राज्यकेँ विकासक लेल एक शिक्षित आ उन्नत सोचबला मुख्यमंत्री चाही। चलू बिहार तँ रस्ता पकड़लक मुदा मिथिलाञ्चलक विकास आेइ रूपे नै‍ देखाइत अछि। विश्वबैंकसँ जे कोसी लेल कर्ज भेटल छै तकर जौं सदुपयोग भऽ जाए तँ मिथिलाक पचास प्रतिशत प्रााकृतिक समस्याक समाधान भऽ जेतै। बिहारमे नितिशजी एक निअम बना रहल छथि जइ‍ अन्तर्गत सरकारी कर्मचारी जौं निश्चित समैमे कार्य नै‍ करता तँ जनता हुनकर शिकाइत दर्ज कऽ सकैत छथि। ऐ तरहक रूपान्तरण किछु आशाक किरण जरूर दऽ रहल अछि।
मिथिलाक औद्योगिक विकासक लेल सरकारी सहयोगक आवश्यकता अछि। किछु बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चरक विकास जेना सड़क निर्माण, बाँध निर्माण, पुल निर्माण आदि चाही जे सरकारकेँ करए पड़तनि, तकर बादे बाहरी लाभिच्छुक निवेशक सभ अपन पाइ लगेता। भारी उद्योगक सम्भावना कम अछि। अइठाम सर्विस सेक्टर, कृषि उद्योग़, वस्त्र उद्योग, फैब्रीक इण्डस्ट्री, खाद्य सामग्री, प्रोसेस्ड फुड आदिक बड्ड सम्भावना अछि। अड़िकोंचक मिठ रूप मराठी स्टायलक़ समोसा, कचोरी, खीर, फिरनी आदि विदेशक बजारमे भरल अछि, तखन मिथिलाक व्यञ्जन किऐक नै‍। किऐक नै‍ हम सभ मिथिलाक अड़िकोंचक तरकारी, मखानक खीर, अपन दिसका माछक मसाला सभकेँ विकसित कऽ एक्सपोर्ट करैत छी। गुजरातक मोदक विश्वप्रसिद्ध अछि, अपन सबहक बगिया किऐक नै‍। तकर बाद आम, लीची, केरा, तारकून, कुसियार, खजूर आदिक विभिन्न ड्रिंक बना कऽ बेचल जा सकैत अछि।
मधुबनी पेण्टिंगक व्यवसायिक उपयोग करू। ऐ पैटर्नकेँ आधुनिक आ पारम्परिक दुनू तरहक परिधानमे बना कऽ फैशन शो करू। घरक क्रॉकरी, फर्नीचरसँ लऽ कऽ कम्प्यूटरक वालपेपर आ लैपटॉपक कवरपर मिथिला पेण्टिंग छापू। घरक वाल पेपर, मोजाइक, मार्बल सभपर मिथिला पेण्टिंगक समावेश करू। पेंटिंगक किट बनाऊ जेना सैण्ड पेंटिंग, इम्बॉस पेण्टिङ्ग आदिक किट बजारमे उपलब्ध अछि। अनन्त सम्भावना छै।
मिथिलांचलक उन्नतिक पथपर एकटा बाधा छै जकरा फानै लेल सरकारी कोष आ सरकारक ईमानदारीक आवश्यकता छै। एकबेर ई बाधा फना जाइ तँ मिथिलांचलकेँ स्वर्णिम रूप पाबैसँ कियो नै‍ रोकि सकैत अछि।

मुन्नाजी- अहाँ लंदनमे रहि अपन नवका पीढ़ी (विशेष कऽ अपन पुत्रकेँ) मिथिला-मैथिलीसँ जोड़ि कऽ रखनाइ पसिन्न करब आकि एकरा अछूत सन बुझबाक शिक्षा देबै?

ज्योति सुनीत चौधरी- हम अपन नवका पीढ़ीकेँ अपन संस्कृतिसँ जोड़ि कऽ राए चाहब। लन्दनमे विद्यार्थी ताकि रहल छी, मधुबनी पेटिंग सिखाबए लेल। हम अपन पुत्रकेँ मैथिलक सभ विशेषतासँ ज्ञात राखए चाहैत छी, संगमे ईहो चाहैत छी जे ओ ऐ सभ्यताकेँ स्वेच्छासँ स्वीकार करथि। अछूत व्यवहारक तँ प्रश्ने नै‍ छै। भने ओ ऐ संस्कृतिकेँ अंगीकृत करथि वा नै‍ मुदा सम्मान तँ देबहे पड़तनि।

मुन्नाजी- मिथिला-मैथिलीक प्रति अनुरागकेँ अहाँक पति सुनीत चौधरीजी कोन रूपेँ देखै छथि, अहाँकेँ ऐ‍ कार्यकलापक प्रति प्रेरित कऽ वा बाधित कऽ?

ज्योति सुनीत चौधरी- हमर पति हमर काजमे दखल नै‍ दैत छथि आ कुनो तरहक दवाब नै‍ रहैत अछि जे हम की लीखू आ की नै‍। घरक काजमे बहुत योगदान दैत छथि आ बाधित कखनो नै‍ करैत छथि ओना हमहूँ हुनकर इच्छाकेँ प्राथमिकता दैत छियनि। प्रेरणा हम अपन माँ, बहिन आ भौजीसँ लैत छी। हम हुनका सभसँ अपन सभ बात करैत छी।

मुन्नाजी- ज्योतिजी अहाँ अपन नजरिये अंग्रेजी साहित्यक मध्य मैथिली साहित्यकेँ कतए पबै छी आ किएक?

ज्योति सुनीत चौधरी- हम अंग्रेजी साहित्यकेँ सागर मानैत छी आ मैथिली साहित्यकेँ मानसरोवर। अंग्रेजी साहित्यकेँ विश्वभरिमे काफी पहिने मान्यता भेटल छै तैं ओ बहुत समृद्ध अछि। सागर रूपी अंग्रेजी साहित्य अपन परिपूर्णतापर अछि मुदा मैथिली साहित्य प्रााचीन रहितो अखन उत्पत्तिक परमशुद्धि बिन्दुपर अछि आ ओकर सिंचन आ संरक्षणक भार सम्प्रति आ भावी लेखकगणपर छन्‍हि।

मुन्नाजी- अहाँ अपन समक्ष समकालीन नवतुरिया रचनाकारकेँ कोनो संदेश देनाइ पसिन्न करब?

ज्योति सुनीत चौधरी- हम हुनका सभसँ कहए चाहबनि जे कृप्या सामने आऊ आ लेखकक रूपमे समाजक प्रति अपन जिम्मेदारीकेँ निमाहैत मैथिली साहित्यकेँ सुकृतिसँ सम्पन्न करू।

मुन्नाजी- बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योतिजी।

ज्योति सुनीत चौधरी- बहुत-बहुत धन्यवाद हमरा ऐ योग्य बुझए लेल।
हम एक बिजनेस प्लैन बनेने छी मुदा आेइलेल बढ़ियाँ निवेशक आ विपणन कर्ताक आवश्यकता अछि। हम अहाँके अटैचमेण्ट पठा रहल छी आेइ बिजनेस प्लैनक। कतौ गुंजाइश होअए तँ कृपा कऽ उपयोग करू।
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