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Sunday, April 8, 2012

हिन्दी आ मैथिली आ साहित्यिक शब्दावली- गजेन्द्र ठाकुर



हिन्दी जै हिसाबे अपन भूगोल बढेलक अछि ओइ हिसाबे ओकर शब्दावली नै बढ़ल छैक,से हिन्दीसँ डरबाक कोनो प्रश्ने नै। हिन्दीक साम्राज्यवाद अंग्रीजीक साम्राज्यवादक स्थान लऽ लेने अछि आ से सभ हिन्दी दिवसपर छोट भाषाकेँ गिरबाक ओकर प्रवृत्तिपर बहस नै रोकल जा सकत। लैटिन/दक्षिण अमेरिकाक सभटा मूल भाषा खतम भऽ गेल आ ओकर स्थान स्पेनिश आ पोर्तूगीज लेलक। स्पेन अजटेक सभ्यताकेँ खतम केलक, ओकर सभ चेन्हासी मेटा देलक, मुदा मेक्सिको तकर पश्चातापमे विश्वकप फुटबॉलक आयोजन लेल जे स्टेडियम बनेलक तकर नाम अजटेक स्टेडियम रखलक।
डेनमार्कक शब्दकोष बड विस्तृत छै, प्रायः २३ वोल्यूम सँ बेशीमे छै,  आप्रवासी प्रायः ओकर नागरिकता लेल लै जाएबला परीक्षामे डेनिस भाषामे अनुत्तीर्ण भऽ जाइ छथि, एकटा महिला जे डेनिससँ विवाह केने रहथि हुनकर बच्चा डेनमार्कक नागरिक भऽ गेल मुदा ओ कहलन्हि जे भाषा पेपर बड्ड कठिन छै, डेनिस सेहो ओइमे अनुत्तीर्ण भऽ जाइ छथि, जनसंख्या वा क्षेत्रफलक छोट रहब डेनिस वोकाबुलेरी लेल हानिकारक नै भेलै।

साहित्यकक मूल सरोकार अछि विषय-वस्तुसँ। मुदा शब्दक अकाल जँ साहित्यकारेक मध्य रहत तँ ओ की संप्रेषण करताह, विषय-वस्तुकेँ कोना फरिछा पेताह। जे हाल हिन्दी साहित्यक अछि सएह मैथिलीक भऽ जाएत। शब्दावलीक ग्राह्यता नेटिव स्पीकरक गाममे बाजल जाएबला शब्दावली निर्धारित करत, संस्कृतिसँ दूर प्रवासी द्वारा बाजल जाएबला शब्दावली नै। शब्दावलीक ग्राह्यता नेटिव स्पीकरक गाममे बाजल जाएबला शब्दावली निर्धारित करत, आ जँ संस्कृतिसँ कटल प्रवासी द्वारा बाजल शब्दावलीकेँ आधारभूत बनाएब तँ नीक साहित्य कोड़ि कऽ निकालल बुझाएत आ गोलैसी आधारित समीक्षकक समीक्षित साहित्य नेचुरल बुझाएत।
शास्त्रीय अनुशासन लेखक लेल अछि,  पाठक लेल नै। लेखक जँ गजल, रोला, दोहा, कुण्डलिया शास्त्रीय आधारपर लिखताह तखने पाठककेँ नीक लगतै, जँ लेखक मेहनतिसँ दूर भगताह तँ साहित्यिक पाठकीयता घटत। शास्त्रक बान्ह तोड़बाक विधि सेहो शास्त्रक मध्य छैक, सावित्री मंत्र जँ शास्त्रीय कट्टरतासँ देखी तँ ओ गायत्री छन्दमे नै छै, मुदा हम सभ ओकरा गायत्रीमे मानै छी कारण गणना पुरेबालेल स्वः केँ सुवः कएल गेलै।

दरभंगाक मजहर इमामकेँ "पिछले मौसम का फूल"पर उर्दू लेल साहित्य अकादेमी पुरस्कार देल गेल। ऐ संग्रहमे गजल (बहरयुक्त) ५५ टा आ आजाद गजल (बे-बहर) ३ टा छै, मुदा पाठक हुनका गजल लेल मोन राखने छन्हि, ओकरा मतलब नै छै जे, जे गजल ओकरा नीक लगलै से बहरमे छै वा नै,  ओकरा तँ नीक लगलै। आ की ई संयोग छी जे बहरयुक्त गजले ओकरा नीक लगलै? मजहर इमामकेँ उर्दू साहित्य आजाद गजलकेँ स्थापित केनिहारक रूपमे मोन रखने अछि।

लेखकक आइडियोलोजी पानिमे नून सन हेबाक चाही, पानिमे तेल सन नै आ ऐपर हम पहिनहियो लिखने छी। यात्री आ धूमकेतुकेँ कम्यूनिस्ट पार्टीक सोंगरक आवश्यकता पड़लन्हि कारण वामपंथ नीक सेन्टडिजाइनर वीयरक भाँति हिनका सभ लेल फैशन छल, से बलचनमा कांग्रेस आ समाजवादी पार्टीसँ हटलाक बाद कम्यूनिस्ट आ लालझंडामे सभ समस्याक समाधान तकैए, ओकरा यात्रीजी सभ समाधान ओइमे दै छथिन्ह।  धूमकेतुक पात्र लेल सेहो लाल झंडा लक्षमण बूटी अछि। मुदा ई लोकनि कम्यूनिस्ट मूवमेन्टसँ -फैशनक अतिरिक्त- जुड़ल नै छथि तेँ हिनकर साहित्यमे आइडियोलोजी तेल सन सहसह करैए। आब आउ चतुरानन्द मिश्र आ जगदीश प्रसाद मण्डलक मैथिली साहित्यपर। चतुरानन्द मिश्रक उपन्यासमे वा जगदीश प्रसाद मण्डलक मैथिली साहित्यमे कतौ लालझंडा वा कम्यूनिस्ट पार्टीक चर्च अहाँ देखने छी? एतए जे भेटत से अछि असल वामपंथी द्वन्दात्मक पद्धति, जीवनपर विश्वास, माने आइडियोलोजी नूनसन मिलल। आ की ई मात्र संयोग अछि जे चतुरानन्द मिश्र जीवनक प्रारम्भमे साहित्य लिखै छथि आ जगदीश प्रसाद मण्डल जीवनक उत्तरार्धमे, अन्तिम केस खतम भेलाक बाद? जगदीश प्रसाद मण्डलक गाम बेरमाक जमीन्दार ठाकुर जी हमर पितयौत भाइकेँ कहलखिन्ह जे जगदीश प्रसाद मण्डल सत्य हरिश्चन्द्र छथि, हमर गामक गौरव छथि। आ से तखन, जखन जगदीश प्रसाद मण्डल कम्यूनिस्ट मूवमेन्टक नेतृत्व केलन्हि दसो बेर जेल गेलाह,  केस हुनके सभसँ लड़लन्हि आ तकर परिणाम भेल जे बेरमामे आइ दस बीघासँ पैघ जोत ककरो नै छै। आइयो ओ फूसक घरमे रहै छथि आ तीन बजे उठि कऽ डिबिया लेस कऽ मैथिली साहित्य लिखै छथि आ हुनकर बेटा हुनका आइ धरि लिखैत नै देखने छथिन्ह, जे कखन ओ लिखै छथि, भोगेन्द्र झाक नेतृत्वमे ओ प्रण लेने रहथि जे जखन बाजब, सभ मैथिलीमे बाजब। से हुनकर बेटा हुनका मैथिलीक अतिरिक्त दोसर भाषा बजैत नै सुनने छथिन्ह। आ सएह कारण अछि जे हुनकर विषय-वस्तु नवीन होइत अछि, हुनकर शब्दावली नेटिव स्पीकरक शब्दावली अछि, जे ओइ विषय-वस्तुकेँ फरिछेबामे सफल होइत अछि आवश्यक अछि। हुनकर लोक, हुनकर गाछ-बृच्छ, हुनकर फूलपात, हुनकर खेत खलिहान असल अछि, जमीनी अछि, पतालसँ कोड़ि कऽ निकालल नै। आ हुनकासँ प्रेरणा लऽ प्रवासमे रहनिहार नव साहित्यकार मैथिली लिखबासँ पहिने मिथिलाक इतिहास-भूगोल आ संस्कृतिक ज्ञान प्राप्त करथु, तखने हुनकर साहित्य फराक भऽ सकतन्हि। ऐ लिंकसँ राधाकृष्ण चौधरीक मिथिलाक इतिहास आ जगदीश प्रसाद मण्डलक गामक जिनगी पढ़ू https://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/  आ मैथिली शब्दावली लेल  ई लिंक देखू http://videha.co.in/new_page_13.htm

बेरमाक ठाकुरजी सन लोकक विचार हमरा लेल बेशी महत्व राखैए,बनिस्पत गोलैसी केनिहार साहित्यकारक/ समीक्षकक जिनकर आयातित शब्दावलीबला साहित्य कोना मैथिली पाठक घटेलकै; आ खाँटी शब्दावली कोना मैथिली साहित्यक स्तर ऊँच केलकै, आ पाठक बढ़ेलकै, ई आब ककरोसँ नुकाएल नै अछि।

उपन्यास लेल दू-दू बेर बूकर पुरस्कार आ साहित्यक लेल नोबल पुरस्कारसँ सम्मानित जॉन मैक्सवेल कुट्सी भाषाक सन्दर्भमे कहने रहथि जे अफ्रीकान्स आ अंग्रेजी भाषाक द्विभाषिया माहौलमे हुनकर अंग्रेजी लेखन हुनका लेल बहुत रास संप्रेषण सम्बन्धी समस्या सोझाँ अनैत छल। ओ अफ्रीकान्ससँ अंग्रेजीमे तकर प्रतिकार स्वरूप ढेर रास अनुवाद केलन्हि। मुदा मैथिलीक साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता (आ किछु ऐ पुरस्कार लेल ललाइत आकांक्षी लोकनि), जे तथाकथित साहित्यकार लोकनि छथि, से जइ प्रकारेँ मैथिली आ हिन्दी दुनूक डोरी पकड़ि माहौल खराप करबामे लागल छथि, से जॉन मैक्सवेल कुट्सीसँ किछु शिक्षा ग्रहण करताह, से मात्र आशा कऽ सकै छी।
अमेरिकामे ३५० शब्दक अंग्रेजीक "हाइ प्रेक्वेन्सी" आ ३५०० "बेसिक वर्ड लिस्ट" हाइ स्कूलक छात्र लेल छै जे क्रमशः कॉलेज आ ग्रेजुएट स्कूल (ओतए पोस्ट ग्रेजुएटकेँ ग्रेजुएट स्कूल कहल जाइ छै) धरि पहुँचलापर दुगुना (गएर भाषा फेकल्टीक छात्र लेल) भऽ जाइ छै। साहित्यक विद्यार्थी/ साहित्यकार लेल ऐ सँ दस गुणा अपेक्षित होइत अछि। हिन्दीमे -अपवाद स्वरूप आंचलिक पोथी छोड़ि- हिन्दीक कवि आ उपन्यासकार अठमा वर्गक २००० शब्दक शब्दावलीसँ साहित्य (पद्य, उपन्यास) रचै छथि आ मैथिलीक किछु साहित्यकार ऐ बेसिक २००० शब्दक वर्ड लिस्टकेँ मैथिलीमे आयात करए चाहै छथि, आ ओतबे धरि सीमित रहए चाहै छथि, जखन जापानी अल्फाबेटक चेन्ह ५०० धरि पहुँचि जाइ छै।

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