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Saturday, April 7, 2012

हाथी चलए बजारपर गजेन्द्र ठाकुर


हाथी चलए बजार: कथा संग्रह तीन खण्डमे अछि, मूलधनमे सामान्य लम्बाइक कथा सभ अछि, मोटा-मोटी २००० शब्दक, जकरा अंग्रेजीमे शॉर्ट स्टोरी कहल जाइ छै। मुदा मैथिलीक शॉर्ट स्टोरी (लघु कथा) एक पन्नाक भीतर लिखल जाइत अछि आ तकर संग्रह ब्याजक अन्तर्गत दोसर खण्डमे कएल गेल अछि। अन्तिम खण्ड लोरहा-बिच्छामे कथाकार छोट-पैघ ओहि सभ कथाकेँ संकलित कएने छथि, जे हुनका दृष्टिएँ कनेक दब कथा अछि- मुदा पढ़ला उत्तर एहिमेसँ बहुत रास कथा मूलधन आ ब्याज क अन्तर्गत संकलित होएबा योग्य अछि, संगहि मूलधन आ ब्याजक बहुत रास कथा लोरहा-बिच्छा खण्डमे जाइ जोगर अछि।
मूलधन: अन्हार- लौहार गाम बाटे जाइबला सड़क पक्की भेल छै, सरकारी जीप सभ, महिषी उग्रतारा लग बलिप्रदान देबऽ लेल खदबद-करैत जाइत छागर-पारा सभ। ओलतीसँ ओलती सटल गहूमक नारीसँ छाड़ल घरसँ बहराइत नेना सभ। तेतर मुसहर। सरौनी गामक गृहस्थ लग हरबाही करैत छल आ रमानन्द सिंहक सुतरी काटि रहल छल। कुलबन्त सिंहक ट्रकक पहिआ ओकर छौड़ापर चढ़ि गेलै। मुखियाजीक आगमन। छह हजार सरदार कुलवन्त सिंहसँ लेलन्हि आ दू हजार तेतराकेँ दएबाक गप केलन्हि। तेतराक सौंसे देह झनकि उठलैक, गनत कोना कऽ..कतेक पंचटकिया हेतै। कनियाँ बलुआहाबालीकेँ बुझबैत अछि, हमर-तोहर जिनगी रहत तँ बाल-बच्चा फेर नञि हेतैक? टैक्स फ्री- चलित्तर चिमनीपर काज करैए। साढ़े छह टाकाक बदला पाँच टका भेटै छै। डेढ़ टाका मुंशी मारि लै छै। मुदा काल्हिये बजट पास भेल छै आ जे वस्तु पौने पांच टकामे भेटैत रहए से आब सात टाका सत्तरि पाइमे भेटतै। जकरा ओ भोट देने छल से डाक बंगलापर आयल छै, चलित्तर ओतए जाइये। कहैत अछि जे भोटसँ पूर्व जतेक अधपेटा भेटैत छल सेहो आब नहि भेटैए। मुदा ओ मंत्री बनल नेता दुत्कारि दैत छन्हि, कतेक नुआ-फट्टा दियौलियै, टेलीविजन, भी.डी.ओ. टैक्स फ्री करबेलियै, तैयो जस देनिहार कियो नहि। चलित्तरकेँ पुलिस बाहर कऽ दै छै। घुस्सा, थापर, चमेटा सेहो लगै छै। ओ ककरासँ टैक्स फ्रीक अर्थ बुझत? बबूर- रौदी मरड़क महायात्रा। ओकर एक्केटा बेटा उदबा। गामक बाबू भैयासँ बाऊकेँ बड़ लागि रहै। बिदा भेल बभनटोली दिस। एकहको टाक ठाढ़ि देतै तँ ढेरी भऽ जएतैक। मुदा ओकरा सुनए पड़लै- पुरखा-पातिक मांसु तँ कुकुर कौआ खेलकनि आ रौदियाकेँ जड़बै लेल गाछ चाहियनि। उदबा समाद पठबैत अछि, लहासकेँ लऽ कऽ बान्हपर आ। ताबत ओ सरकारी जमीनपर सरकारी बबूर काटि-चीरि कए चिता सजा दैत अछि। उदबा आगि फूकि देलक। पंडीजी अएलाह आ पंडीजीक ई कहलापर जे बबूरक लकड़ीपर चिता केहन होइ छै, मुँहमे ऊक दऽ कऽ धारमे भसिया दितही, उदबा हुनकर पतरा छीनि लैत अछि आ ओही चितामे फेकि दैत अछि। उदबा पित्तीसँ बजैत अछि- तोरा आऊरक चानन ईएह बबूर छिअह।संबंध- सुगिया आ ओकर घरबला जीबछ। जीबछक घर एही चौकक कातमे छै। झिल्ली मुरही आ चीनीपाक मिठाइ, बतासाक उठल्लू दोकान।रतुका खाइक आ नीनसँ सुतैक बिचला अवधिमे दुनू एक दोसराक बाँहिमे पड़ल किछु गप्प करए। बुढ़िया जे एहि बरख टा जीबैत रहितए तँ ओकर सख संग लागल नहि जइतै..। सुगिया गर्भवती छल। आइ भात-परोड़ खाइत इतियौत-पितियौत सभक बापकेँ कंठ दाबि मारबाक ध्वनि सुनलक। ओ धरहड़िमे गेल मुदा ओ सभ ओकरेपर फरसा चला देलकै। फेर थाना..। ओतए दरोगाजी टेक्टरबलासँ सलटि रहल छलाह। फेर ओ सुगियासँ केसक फीस दू सए टाका मँगलन्हि। जीबछक कमीजक जेबीमे मात्र साठि टाका रहै। बाला आ हंसुली बेचए लेल सोनार लग गेल, ओहो मौका देखि कम पाइ लगेलक। टाकाक जोगार भेलै मुदा तावत जीबछ ढनमना गेलै। दरोगाजी कहलखिन्ह जे ई बिना कुछ बजने मरि गेल। भऽ सकैए तोँ दोसर मर्दक संग संबंध रखने छँह आ एकर खून गुंडासँ करबेने हेबहीं। दरोगाजी ओकरा हाजतिमे बन्न कऽ देलखिन आ अपन डेरामे समाद दऽ देलखिन्ह जे ओ आइ राति डेरा नहि आबि सकताह।अंतिम बेहोशी- कथाक सूत्रधार वा कथाकारक भौजी- माने ललिता मिश्र, प्रोफेसर समरेश मिश्र, विभागाध्यक्ष, रसायन शास्त्र विभागक धर्मपत्नी। दुनु पहिने प्रोफेसर आ शिष्या रहथि, फेर प्रेमी-प्रेमिका भेलाह आ तखन पति-पत्नी। उमरिमे कमसँ कम दस बर्खक अंतर होएतन्हि। तीन टा बच्चा दू टा बेटी चौदह बर्खक सुषमा आ बारह बर्खक माधुरी आ एक टा बेटा श्वेताभ दस बर्खक। भौजीक ई चारिम गर्भाधान। कारण जांघक भूख प्रबल। मुदा बेटीसभकेँ स्कूलमे लोक उपहास करए लगलै आ ओ सभ माइकेँ कहलक जे हमरा सभक उपहाससँ माथ फटैए आ तोरा बिआइसँ छुट्टीए नहि छौ। भौजी गर्भपातक प्रयास कएलन्हि मुदा समरेश भाइक कोनो मदति नहि भेटलन्हि। बेटी सभक गप..पेट उनारने बैसल अछि..बेलनाक हूड़सँ फोड़ि ने दे पेट कए। भौजी मूर्छित भऽ गेलीह। भौजी पहिल बच्चा भेलाक बाद जे चौदह बर्खक बाद गर्भवती होइतीह तँ की हुनकर बेटी, ओहो शिप्रा जेकाँ देवी-देवताक पूजा नहि करितए। शिप्रा सूत्रधारक कॉलेजमे छात्रा, सतरह बर्खक बाद ओकरा एकटा भाइ भेल छलै। बड़ प्रसन्न छलि। डाक्टरनीक मोन उछतगर नहि बुझि पड़लन्हि। भौजीक शिशु सूत्रधारक कोरामे छन्हि। भौजी चलि गेलीह, प्रपंचकेँ छोड़ि। छब्बीस घंटाक बच्चाकेँ लऽ कऽ सूत्रधार समरेश भाइक डेरा ढुकैत छथि। भौजीक दस बर्खक बेटा खुशीसँ ओकरा संग एकतरफा बतकही कऽ रहल छल। भौजीकेँ अंतिम बेर होश आयल छलन्हि तँ ई समाद कहबा लेल। दुनू बहिनकेँ अंग्रेजी स्कूल चंडी बना देने छै। ओ सभ एकरा नहि जीबऽ देतै। आब अहीं एकर माए आ बाप। कथाकार सोचमे छथि। दुनू बहिन स्कूल गेल छल। कोना भौजीक दस वर्षीय बेटाकेँ उतरी पहिरेताह।उस्सर जमीन:तेजो बाबू। कथाक सूत्रधारक दियादी पित्ती। खरहू सभ फूल कका कहै छन्हि। समर्थाइमे खेत-पथारमे काज करैबाली बोनिहारिनसँ राजी वा जबरदस्ती वासनाक पूर्ति करथि। आब दू-दू पुतोहु आ एकटा जमाएक ससुर भेलाह। फूल कका सूत्रधारक टेढ़ आँखिक नकल करथि आ से करैत-करैत आइ हुनकर दहिना आँखिक डीम उपरका पलमे ढुकि गेलनि अछि। आब अपन पोता-पोतीक खापड़िक पेन सन मुँह, बुढ़बा परोर सन ठोर, अल्लू सन-सन नाक, बिलाड़ि सन-सन आँखि आ फगुआक पू सन गाल देखै छथि तँ पश्चाताप करै छथि। हुनकर राम आ लछमन बेटाक भिनाउज लेल पंच बैसल अछि कारण राम बेटीक बाप छथि आ बेटीक बाप पहिनहिये बुढ़ा जाइत अछि- आ लछमन बेटाक बाप छथि । से लछमनक कनियाँ सिमराहा बाली सोचलन्हि जे जेठ जनकेँ परुकाँ एकटा कन्यादान हेतन्हि आ दोसरो लागले छन्हि से फूट भऽ जाइ आ एहि लेल उड़कुन तकलन्हि। पंच, अमीन आ अन्न जोखबा लेल पल्लेदार आयल। जे फूल कका अनका घरमे पंचैती करै छलाह, हुनका घरमे पंचैती। सभ वस्तुक हिस्सा भेल मुद लादि इनार एक्केटा। से लादि फोड़ि देल गेल आ इनार भथि देल गेल। मुदा माए-बापकेँ कोना फोड़ब आकि भथब? से रामक संग बुरहा आ लछमनक संग बुरही गेलीह। नूर-गोबरौर जेकाँ दुनू गोटे पड़ल छथि। कारण सिमराहीबाली समाराजसँ दू बीघा जमीन बुरहा-बुरहीकेँ देबामे नोकसान देखलन्हि। जे छोटकाक घरमे तस्मै बनै तँ बुढ़ीक पातोपर एकाध चम्मच खसै। मुदा असगरे खाइमे हुनकर हीया सालए लागनि। आब फूल काका दार्शनिक बनि गेल छथि। बांझ गाए, उस्सर जमीन आ कोढ़ि बरद सेवा-बरदासिक आश किऐ रखैए? पवन पुल- कथाक सूत्रधारक आइ.एस.सी.क परीक्षा भेल छन्हि , प्रैक्टिकल परीक्षा बाँचल छन्हि आ ओ ओहि अवधिमे गाम गेल छथि, कारण अल्पवेतनभोगी पिताक ऊपर बेसी जोर नहि देमए चाहैत रहथि। मात्र तीन दिन पहिने सहरसा गेल छथि। गाममे मृत्यु सय्यापर सूत्रधारक अनुजा सरोज पड़लि छथि। तीनू अनुजामे सभसँ पैघ मुदा सूत्रधारसँ तीन बर्ख छोट, जकर दस बर्खक बएसमे विवाह भेलै आ तेरह बर्खक बएसमे द्विरागमन। सासुर गेलाक छह मासमे ओकरा टाँगि कए नैहर आनल गेलै। हुनकर पति अज्ञानी-लफंगा छलखिन्ह, जिनका सूत्रधार कहथिन्ह जे ऑटोमेटिक घड़ीक ह्रिजए आ इंग्लिश रेले साइकिलक निर्माणक तिथि बताऊ, जे ई दुनू चीज चाही। आ एहि हँसी लेल सेहो सरोजकेँ तारणा भेटलन्हि। सूत्रधार प्रैक्टिकल परीक्षामे उत्तल तालक वक्रता नहि नापि सकलाह मुदा प्रात भेने सरोज ओहि वक्र सीमासँ मुक्त भऽ गेलीह। सझिला पित्ती, जिनका सूत्रधार बाबू कहै छथि, सूत्रधार आ सरोजकेँ जानसँ बेशी मानैत छथि। समाजक लोकक लहास उठबै लेल नहि आएब। सूत्रधारक काकीक ई सूचित करब जे अपनहि बैसि चारू दिआदनी कानी आ चारू-चारूकेँ चुप करी आ कोनटी-फटकीसँ अबाज, जे छौड़ी समर्थ होइत-होइत मरलैए, तेहेन डाकिन हेतैक जे टोलमे भरि-भरि राति घोड़दौर करतै। मुदा भोज कालमे रंगनाथ मिश्रक कहब, जे पहिल कर के उठाओत, मात्र एक्कैस ब्राह्मण छथि बाइससँ एक कम। सूत्रधारक छोट पित्ती अपने बैसि जाइ छथि। सूत्रधार रंगनाथ मिश्रकेँ बाँहि पकड़ि उठबैत छथि..निकलि जाउ जल्दी, अन्यथा एक्को जुत्ता नीचाँ नञि खसए देब..। जे कसाइ छथि, तिनका जाए दिअनु। हुनकर पात भिखो डोमक सूगरकेँ खोआ दिअनु..। चरित्र- घोर कम्युनिस्ट गौतमजी। जातिएँ कर्ण कायस्थ छथि- बीड़ी पीबि (ताहिसँ सर्वहारा छवि बनबैमे सुविधा छन्हि) मोंछक टुरनी कैल भऽ गेल छनि। कलकत्तामे बसल मैथिल। तीन टा बेटी। बेटी विवाह कालमे अपन प्रेमिका संगे लड़का देखए लेल जाइत छथि। ओतए एक ठाम अम्बष्ठ कायस्थ रहलाक कारण आ दोसर ठाम लड़काक पिता कर्णजीक दोसर पत्नीक क्रिश्चियन विधवा रहलाक कारण ओ कथा सभ हुनका सूट नहि करै छन्हि। एडलिनाक कथा बीचमे आबि जाइए..एहि क्रममे प्रधानाध्यापकक एड्लीनाक सम्बन्धमे टिप्पणीपर एकटा नवनियुक्त शिक्षकक टिप्पणी- एडलीना अहाँक छोटकी बेटीसँ दुइए-तीन बर्ख जेठ होएतीह..हुनका लेसि दै छन्हि। अस्तु, कथाक अन्त गौतम जीक माझिल बेटीक पिताकेँ देल रपटानक संग खतम होइत अछि।इजोत- मधुकरजीक संग कथाक सूत्रधारक शतरंजक खेल चलि रहल छन्हि। शतरंजक खेलक संग सूत्रधार मधुकरजीक शतरंजक संग जीवनमे कएल बेइमानीक संगे-संगे चरचा करै छथि। हुनका द्वारा मधुकर जीकेँ पातकी गुरुक चेला कहलापर मधुकरजी बिगड़ि जाइ छथि, कहै छथि जे ..हमहीं अहांक घरवालीकेँ सिखबै छी जे अहाँक माए-बापकेँ मारए, अहाँक घरक फजहति करए, अहाँक ससुरबासि बहिनकेँ घरमे नहि रहए दिअए। मधुकरजीक विशेषताक शतरंजक बिसातपर चर्च होइत अछि- बियाहमे भाँगठ करब, एकलव्य जेकाँ धनुर्विद्याक प्रयोग कुकुरक मुँह बन्द करबामे करब, सूत्रधारक कनियाँकेँ अनट-बनट पढ़ाएब। सूत्रधारक बहिनिक सासु-ससुरकेँ ओ कहि आएल छथिन्ह- दिल्लीमे जगह किनबा लेल पाइ छै आ बहिन बहनोइकेँ देबा लेल पाइ नहि छै? सूत्रधारक पत्नी सासु-ससुरकेँ पाँच बाढ़नि-पाँच सुपाठ चलबिते छलखिन्ह आब बहिन लेल पाँच बाढ़नि-सुपाठक काज आओर बढ़ि गेलन्हि..बेचारी परलोक गेलीह। अन्तमे सूत्रधार मधुकर जीक घोड़ा उठा कए पुरना जगहपर राखि दै छथि, आ चालिमे इमानदारी अनबाक लेल कहै छथि।हाथी चलए बजार- भवानी दाइ! बापक दुलारि। माएक मृत्युक बाद लालन-पालन आ विवाह। फेर कल्याणक योग्यता भेलन्हि तँ ई समाचार सुनि पिताक मृत्यु भऽ गेलन्हि, खुशीसँ । फेर भवानी दाइकेँ पुत्र भेलन्हि आ फेर हुनकर पतिक मृत्यु। फेर इनश्योरेन्स आ अनुकम्पाक नोकरी लेल हुनका दू तरहक अनुभव भेलन्हि। इनश्योरेन्स कम्पनीक मनेजर कम उमरिक लेखक, भद्र। सभटा काज मिनटमे भऽ गेलन्हि। मुदा पतिक कार्यालयक हाकिम पतित। कथाक अन्त हाकिमक बेटी गीताक पिताकेँ देल दुत्कारिसँ होइत अछि।छगुन्ता- बैरागीजी, रामाधीन पाण्डेय “बैरागी”, हुनकर बेटा कओलेजमे प्रोफेसर भऽ गेलखिन्ह। हुनकर बेटाक अपहरणसँ कथामे तेजी अबैत अछि। पचीस हजार भविष्य निधिसँ निकालि कऽ रखलथि आ सेहो गाएब छन्हि। हुनकर जेठ बेटा अरुण सेहो निपत्ता छथि। फेर कथामे दुखमोचनक चर्च अछि जे स्वतंत्रता सेनानी- जे पेंशन लेबासँ मना कऽ देलन्हि- क पुत्र छथि। मुदा अपराधी चरित्रक, हाइ स्कूलेसँ अपन भविष्यक परिचय देमए लगलाह, जखन जाति आ अर्थें हीन पड़ोसियाक बेटीपर हाथ साफ कऽ लेलनि। फेर बटमारी, छीना झपटी...निम्न जातीय एम.एल.ए. भगत जीक नेतृत्व पसिन्न नहि पड़लन्हि तँ ओ केसमे फसा देलखिन्ह आ आब ओ फरारी राजनीतिज्ञ भऽ गेलाह, अपन जातिक लोकक मदति सेहो भेटलन्हि। फेर हुनकर फल्लां दिन आत्म-समर्पण आ शक्ति प्रदर्शन हएत। निछक्का स्वजाति, एकवर्णा गहूम जेकाँ। आबालवृद्धवनिता। दुखमोचन पैघ लोक भऽ गेलाह। तही दुखमोचनसँ अरुणक धर्मयुद्ध। मुदा दुखमोचन जीक चीलर-चमोकनि सभ अरुण द्वारा वध भऽ रहल छलाह आ ओ दिल्ली-पटनामे मौज करै छथि।गति- जगत झा, गामक बिलाड़ि। गाम मोहनपुर। भुमिहार आ डोमक अतिरिक्त सभ जातिक लोक, भुमिहारक सामाजिक लोकाचारमे कोनो प्रयोजन नहि, मुदा डोमक होइ छै, से ओ अबैत अछि चन्द्रायणसँ। दु बरख दसैंया पासी लग बन्हकी लगलाक बाद फेरसँ मोहनपुर भिखो डोमक हिस्सामे आबि गेल अछि। गाममे मनोहर धानुकक बेटी चनरमा। बभनाक नेत खूब बुझै छल। बिआहक बाद सासुर बकौरसँ सांइकेँ डेनिअएने चलि अएल। कारण बकौरक राछछ सभकेँ ओकरा नहि चीन्हल छलै मुदा मोहनपुरक सभटा कुकुर ओकरा चीन्हल छलै। फेर चारिटा बेटी भेलै। जगत झा तरबन्नीसँ अबैत अनिल सिंहकेँ चनिया ओकर पाइ देलकै वा नहि पूछि भड़कबैत छथि। टी.टी.क बेटा अनिल सिंह। फेर मारि-पीट आ पुलिस-फौदारी। मुदा फेर जखन दुनू पक्षकेँ जगत बाबूक असलियत बुझबामे अबै छन्हि तँ फेर दुनू पक्ष मिलि कऽ..। मध्यांतर- जगतारणि आ अलकादेवी- दुनू सौतनि मुदा सौतिया डाहक कतहु लेशो नहि। अलका देवीक दू टा सन्तान। तारानन्द निर्धन परिवारक आ अलका - सुखी सम्पन्न परिवारक- एक्के संगे पढ़ैत रहथि। तारानन्द लोक सेवा आयोगक परीक्षा पास केलन्हि तँ बियाह जगतारणि- करिया पाथरक बनल मुरुत मुदा व्यवहारसँ सुन्दर- सँ दहेज प्रथाक कारण भऽ गेलन्हि। फेर कुरुप जगतारणिक प्रयाससँ अलका सेहो घर आबि गेलीह। फेर जगतारणिक दूरक संबंधक दीअर मनोहरक पत्नी जाहिल मीराक आगमन होइत अछि। फेर मीराक दामपत्य जीवनक सूत्रक कमजोर होएब आ वकीलक आगमन। मीरा केस जीति जाइत छथि मुदा मनोहरक ओकील, आ मीराक ओकील हुनका संगे गलत कर्म करैत अछि..। फेर जगतारणि द्वारा मीराकेँ भोल भरोस देल जाएब।
ब्याज: किराया- पूर्णियाँ गुलाबबाग, देह व्यापारक अड्डा। ..कतेको कोढ़ीकेँ रगड़ि कए फुला देल गेल छल। आ..दस टाकामे होइ छौ अपनो साती आ बापोक साती..एहन सन अबाजक बीच कथाक सूत्रधारक प्रति शब्द..स्सालेकेँ ने जेबीमे दम रहै, ने डांड़मे। पतन- बाढ़िक कछाछोप पानिमे चनमा द्वारा झोली मिसरक सन्दूकक वस्तु-जात निकालबाक प्रयास आ साँपक फेंच तानि ठाढ़ होएब, जेना कहि रहल हो- हम तोरासँ बेसी बिखाह नहि छी। उसांस- विधवा थानाबाली, ओकर बेटी डोली बेराम रहै। हवेली गेनाइ नागा कऽ देलक। मालिक दस सटका घैंच देलकै। फेर माए रोहुआ बुआरक मोनिमे अत्याचार आ कब्बै द्वारा ओकर कंठमे काँट पसारि ओकरा मारबाक खिस्सा डोलीकेँ सुनबै छै। डोली कहै छै, ऐ मालिक लेल कोनो कब्बै नहि छै? ओटघन- मालिक-मलकाइन आ मुसबा, जितिया पाबनिमे मुसबाकेँ छुट्टी नहि भेटलैक। जितबाहनक तेल, मलकाइनक बच्चाकेँ माथमे लठ-लठ करैत लागए आ मुसबा ओहि तेलक एक ठोपक आस लगेने रहए। आ सपनामे जखन ओकरा माए कहै छै जे किए एलें, ओतए मलकाइन सुच्चा दूधक पौरल दहीसँ औटघन करबितौ, तँ ओ कहैए जे चढ़ौआ तेल तँ ओहि सिमबक्शीक हाथसँ बहरएबे नहि कएलैक आ ओटघन ओ की कराओत? जागृति- एकटा कौआ राजपथक दुफेरापर बैसि रहल, सोझाँ दूधसँ नहाएल संसद भवन, दूधसँ नहाएल नवयुवती जेकाँ चमकैत। आ पारम्परिक कथा- कुकुरक कौआसँ गीत गएबा लेल कहब जे ओ रोटी ओकरा खएबाक मौका भेटए। मुदा कौआ रोटीकेँ चांगुरमे राखि कए बजैत अछि जे खोहमे रहि बाहरी दुनियाँक गीत कोना सुनबह। जाति- कामेश्वर बाबू आ सुगनी हुनकर घरमे काज करएबाली। शारीरिक संबंध दुनूमे। मुदा बहुत दिनुका बाद ओकर बेटी सरोसतियाकेँ कामेश्वर बाबू कामवशीभूत देखै छथि आ पुछै छथि तँ सुगनी कहै छन्हि जे हँ जुआन तँ ई भइए गेल अछि, मुदा सोचै छी जे कोन जातिक लड़का एकरा लेल ताकी, अपना जातिक वा अहाँक जातिक। महामंत्री- अर्थशास्त्रमे एम.ए.पास विनोदक कृषि राज्य मंत्री पाण्डेयजीक चक्रचालिमे फँसि अपन धनकुटियाक धंधा खराप करब आ पाण्डेयजी द्वारा आबंटित राशिकेँ ऊपरे-ऊपर हँसोथि जएबाक खिस्सा। एकोदिष्ट- मालिक बाबाक एकोदिष्ट। हुनकर जेठ बेटा मधु भाइ (तामसे मधुकंता कहै छथि)क नोतपर नहि अएलापर तामसे बिख छथि, हुनकर कार्यालयक व्यस्ततासँ हुनका कोनो मतलब नहि छन्हि आ कहै छथि जे सुनराकें एकर बदला नोत किएक नहि देल गेल। धरफड़ाइत अबैत मधु भाइ ई सुनि लै छथि...। भारत- गाँधीजीक मूर्तिक खसब आ सभक ओकरा श्रद्धासँ नमन कए बढ़ि जएब मुदा उठेबाक पलखति ककरो नहि। एकटा भिखमंगाक ओतए कम भीख भेटलाक बादो ओतहि भीख माँगब, एहि आशामे जे गाँधीबाबा उठताह तँ देशक दशा कहबन्हि। कृतज्ञता- सुस्मित, अक्षयवट आ राकेश जाइत रहए गप करैत। रामनारायण सिंह प्रोफेसरक कृपासँ नीक अंक भेटल रहै। फेर प्रोफेसर साहेब सेहो सूत्रधारकेँ भेटै छथिन्ह आ फेर नीक छत्ताक उपहारक बदला देल अंकक भेद खुजैए। विसंगति- सूत्रधार मेडिकल रिप्रेसेन्टेटिव छथि, नाथो बहिनकेँ पेट दर्द, तेजो काकाकेँ तिलकैत केसक इलाज आ अवधेश भाइ लेल भूखक गोटी.. मुदा सूबेलाल हरबाह, जकर बेटा सूत्रधारसँ पाँच बर्ख जेठ छथिन्ह, सूत्रधारकेँ मालिक कहै छथिन्ह। पेट खरापक दबाइ गोटी हुनका मुदा नहि चाही, कारण जतेक अन्न पचेबाक तागति छन्हि ततेक तँ अन्नो नहि जुड़ै छन्हि, भूख कम करबाक जे कोनो दबाइ होइ तँ से मँगै छथि। बोइन- जुगो मरर, ओकर कनियाँ धोरएबाली बिन बोइनक खेरही डेंगाबए किंकर बाबूक अंगनामे, बेटा लालमोहरा सेहो पेटेपर ओहि अंगनामे काज करए। सूत्रधारक मदतिसँ वृद्धा पेंशन भेटलै, मुदा जेकरा ओतए ओ काज करैए ओ जे दू दिन ओकरा काजसँ दौगत, से दू दिनुका बोइन नहि देत। फेर ब्लॉकमे जखन ओकरासँ बिनु पाइ लेने हाकिम कागच राखि लै छथि तँ ओकरा होइ छै जे काज नहि भेल कारण बिन बोइनक तँ गरीबे-गुरबा सभ ने काज कऽ सकैए। पहिचान- वृखोत्सर्ग श्राद्धक क्रममे दगलासँ बाछीक मृत्यु। अनुत्तरित- दीना बाबूक काम लिप्सा आ हुनकर हरबाहक बेटी बुधनीक कहब जे ई सलवार फराक पहिरने हम हुनकर बड़की दैया सन लगै छिअइ ? योग्यता- रफीक साहेबक स्कूल खोलब आ योग्यतामे युवतीक उमरि पूछब। कथा सशक्त नहि। उद्देश्य- मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षामंत्रीपर परीक्षामे चोरिपर प्रतिबन्धक गप आ त्यागपत्र माँगब। बोध- राजाक नागराजक पत्नीक ढोढ़िया संग संभोग देखब आ नागराजक पत्नीक कहब, मिसिया भरि पुंसत्व, पहाड़ भरि कुलशीलसँ पैघ होइत छैक? मोल-जोल- पांकी रोड डालटनगंजमे भरत बाबूक माइक श्राद्ध आ दूध-तेल गिरै लेल कंटाहा ब्राह्मण द्वारा एक सए एकावन आ फेर आर पचास टाका भेटलोपर मोन उछितगर नहि होएबाक बाद एकटा ब्राह्मण भिखमंगा द्वारा ओहि टाकाक बदला दूध-तिल पीबाक ऑफर। मूल्य- लखन बाबूक निर्देशनमे मनोरमाक पी.एच.डी. करब आ लखन बाबूक प्रणय निवेदनपर उत्तर, जे जाहि आँखिए अहाँक एतेक महान छवि देखने छी, ताहि आँखिए अहाँकेँ नांगट कोना देखब? आस्था- गोदानक बदलामे पंडितजीक द्वारा आपतमे एगारह टाका दए तिल-कुश-जौ-अक्षतसँ उसगरबाक गपपर सूत्रधार द्वारा आशंका करबापर कहब जे ओ कोनो मनुक्ख थिकै... जानवर थिकै, जानवर। अंतिम अभिलाष- मदर दासक अंतिम इच्छा पुछलापर ओकर कहब मोन करैए.. जे अल्लू दम आ भात खाइ। सरोकार- फूलबाबूक मृत्यु आ तखने अमेरिकामे छपल कविताक एवजमे डॉलरमे पाइ आएब आ मदनेश्वर बाबूक पूछब- एकर कतेक टाका भारतमे भेटतैक? प्रतिबद्धता- रामशरणजीक भारतक गरीबी आ नारी-शोषणक ज्ञान विदेशी लेखकक किताब पढ़लासँ एतेक फरिच्छ छनि। ललिता एक माससँ हुनकर कामक वशीभूत अछि, मुदा फेमिनिज्म लए कऽ ओहि दिन जखन वार्तामे भेद खुजैए तँ ओकर दुत्कारलापर रामशरणजी फेमिनिज्मकेँ अल्हड़ छौड़ीकेँ रागतर दाबऽ वला हथियार कहै छथि। जोगाड़- कुमार गंधर्वक स्वर्गवासपर जे.एन.यू. कावेरी हॉस्टलक दू टा अखबारी समीक्षकक विवाद- ओहिमेसँ एकटा तहिए सँ आलेख लिखि रहल छल जहियासँ गंधर्व दुखित भेल छलाह, से ओ दोसरकेँ कविता लिखबा लेल कहै छन्हि। पिंडदान- चक्रधर बाबूक झिंगुर झाक माइक मृत्युक बाद जमीन लेने बिना पाइ नहि देबाक निर्णय आ अपन पितरक पिंडदान लेल गया जएबाक भोरक रातिक स्वप्न- जीबैतकेँ नहि उजाड़, मरल लोक तँ अपनहि बसि जाएत।
लोरहा-बिच्छा: भूख- सूत्रधारक बाल्यकालक संगी रमकिसना। मुदा आब ओ चरबाही करैत अछि आ सूत्रधार छथि प्रोफेसर। होलीक दिन सूत्रधार द्वारा रंग देबाक प्रयासपर ओकर कहब- मैल-कुचैलमे रंग पकड़बे नहि करत। पेटक चाम चारि दिनसँ जरि रहल छै ओकर। महगी उन्मूलन- मणीन्द्र अपन पिता आ परिवार संगे पटियालाक सड़कपर जा रहल अछि- एक भाषा-भाषीकेँ छोड़ि कऽ सभकेँ मुड़ै-भाटा जेकाँ काटि देल जाइत अछि। मणीन्द्र बचि जाइत अछि, फेर फागुमे महामहिम लग लाशक रंगक बदला दुर्गन्धयुक्त पानिसँ होली खेलाए पहुँचैत अछि, कारण ई बेशी सस्ता छै। कसाइ- बिलट सिंहक जमीन चौकोड़ हेबामे सुरेनमाक जमीन पड़ै छै मुदा ओ तैयार नहि अछि।मारि पड़ै छै। दरोगा पाइ मँगै छै मुदा एस.पी.क ओहिठाम कहलाक बादो काज नहि होइ छै, कारण दरोगा ओकरा पाइ दऽ कऽ बहाल भेल अछि। दहेज- छोट बहिनक द्विरागमन आ ओकरा द्वारा एकटा सलाइ आ एक टीन मटिया तेल लेने बिना सासुर नहि जएबाक गप।पीढ़ीक द्वन्द- नियतिक चक्र आ साहेब राय आ रामदेव रायमे मतभिन्नता आ पिताक नाम रामदेवसँ चतुर्भुज राय कराएब। पहिने, आइ, आ काल्हि- गोनू बाबासँ सूत्रधारक प्रश्न आ ओ लाउर , चाउर आ रिभलबॉल लेल भूत, वर्तमान आ भविष्यमे लोक कानत से गप कहै छथि। प्रतिफल- विज्ञानक भारती-शरत सिद्धांतक प्रतिफल। बेटा कोना होअए, से बेटीक संख्यामे कमी भेल। आ आब स्त्री लेल युद्ध। उपराग- कामो झाक पहिल पत्नी दिबड़ावाली आ दोसर मुरलीवाली। मुरलीवालीकेँ एक बेटा आ तीन बेटी। ओकर बेटा निरंजनकेँ साँप डसि लेलकै, से शिवलिंगकेँ छूबि कऽ पूजा केलासँ आकि सौतिनक हक्कलि डइनपनासँ। कामोक पिता मुसाइ झाक पुतोहु दिबड़ावालीसँ अवैध संबंध। मुरलीबालीक मृत्युपर ओकर आगि देबा लेल ओकर बेटा इन्द्रदेवकेँ लोकसभक कहलापर मुरलीबाली रहस्य खोलै छथि जे अहाँ हुनकर बेटा नहि छिअनि वरन छिअन्हि दी...दीअर! कोउ काहू मगन- सूत्रधार आ संगबए लोकनि टहलैत छथि, तखने एकटा दसटकही सड़कपर चौधरीजीकेँ भेटै छन्हि, ककर ई पाइ हएत-एक ठाम खाधि कएलेपर दोसर ठाम ऊँच हेतैक ने ? ऋणखौक- नीलेश गरीब परिवारक, फेर पढ़लक-लिखलक तँ गामक लोक सभ पिताकेँ दवाबमे दऽ विवाह करा देलन्हि- कनियाँ तेहन जे पिताकेँ मारै छल। फेर नीलेशक दोसर जातिमे विवाह करबाक निर्णय आ पड़ोसीक कहब- ई ऋणखौक अछि, पितृऋण बिना उतारनहि मरत।

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