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Saturday, April 7, 2012

मि‍थि‍ला आ भारतक अवि‍कसि‍त आ कृषि‍-प्रधान गाम- मौलाइल गाछक फूल :: जीवकान्‍त


जगदीश प्रसाद मंडलक उपन्‍यास मौलाइल गाछक फूल

-जीवकान्‍त

जगदीश प्रसाद मण्‍डलक पोथी ‍मौलाइल गाछक फूल‍‍ पढ़ि‍ गेलौं। एकटा नव लेखक। एकटा नव भाव-भूमि‍।
उपन्‍यास थि‍क। प्रमुख बात थि‍क गामक गरीबी, अशि‍क्षा आ खेतक वि‍षम वि‍तरण।

आरंभसँ अन्‍त धरि‍ समाजवादक धारणा गनगनाइत अछि‍। तँए पात्र सभ गौण भ‍ऽ जाइत अछि‍। पात्र सभ गरीबी लए क‍ऽ उपस्‍थि‍त होइत अछि‍, अपन दीनता, अपन संघर्ष अपन वि‍जय अभि‍यानक दि‍शा देखबैत अस्‍त भ‍ऽ जाइत अछि‍।

गाम बदलतैक जखन बोनि‍हारकेँ भू-स्‍वामी बना देल जएतैक, शि‍क्षा लेल स्‍कूल फुजतैक, दवाइ लेल डाक्‍टर आ दवाइ सुलभ हाेएतैक।
से सभ ऐ‍ ‍मौलाइल गाछ‍ (मि‍थि‍ला आ भारतक अवि‍कसि‍त आ कृषि‍-प्रधान गाम) मे भ‍ऽ जाइत छैक। भूमि‍क वि‍तरण भ‍ऽ जाइत छैक। स्‍कूल फुजैत छैक। दूटा कि‍शोर-कि‍शोरी मद्रास जा कऽ चि‍कि‍त्‍साक आरंभि‍क ज्ञान लऽ गाम आबि‍ जाइत छैक। गाममे पि‍रवर्तन होइत छैक। गामक स्‍वर्ण भू-स्‍वामी डोमक नोत मानि‍ सोत्‍साह भोजमे सम्‍मि‍लि‍त हाेइत अछि‍। बोनि‍हारक बेटा गामक पैघ जोतदार (आब भूत पूर्व) लेल जर्मनीमे बनल रेडि‍यो उपहार देबा लेल अनैत अछि‍।

नव जागरण छैक। नया समाजवाद छैक। कतौ मारि‍-मोकदमा नै‍‍। कतौ भोट-भाँट नै‍‍। सभ वस्‍तु आरामसँ स्‍वत: होइत गेल अछि‍।
एकठाम लाठी चललैक अछि‍। ि‍सति‍या आ ललबाबला प्रसंगमे। दू वर्गक लोक अछि‍। दुनूक वर्ग चरि‍त्र झलकैत छैक। पोथीमे उल्‍का  जकाँ ई घटना अबैत अछि‍ आ मि‍झाइत अछि‍।
वर्ग घृणा एकठाम छैक। सुबुध मास्‍टर नोकरी छोड़बा लेल त्‍यागपत्र फेक‍ अबैत अछि‍। ओकर स्‍त्री घौना करैत अछि‍। घसवाहि‍नी सभ आेकर दुख ओकर जीवन-शैलीक चर्चा कए अपन घृणा प्रकट करैत अछि‍।
गाममे एहेन परि‍वर्तन होएबाक चाही। से बात उपन्‍यासकार कहैत छथि‍। कथानकमे कोनो पार्टीक उपस्‍थि‍ति‍ नै‍‍ छैक। मुदा पार्टीक एजेण्‍डा जकाँ सभ काज भऽ जाइत छैक। गाममे एन.जी.ओ. नै‍‍ छैक, मुदा एन.जी.ओ.क उपस्‍थि‍ति‍ अभड़ैत छैक।

मार्क्‍स, गाँधी, लोहि‍या, वि‍नोवा इत्‍यादि‍क आहट सुनाइत छैक।
एहेन परि‍वर्तन होएब तत्‍काल संभव नै‍‍ छैक। शि‍क्षा प्रचारसँ आ समाजसेवी सबहक सेवा आ श्रमसँ एना भऽ जाए तँ आश्चर्यक बात नै‍‍।

रमाकान्‍त जखन मद्राससँ घुरैत छथि‍, तखनसँ अन्‍त धरि‍ उपन्‍यास शि‍थि‍ल भऽ जाइत अछि‍। तकर बाद सभ घटनाक अन्‍दाज पाठककेँ भऽ जाइत छैक। उपन्‍यासमे अन्‍त-अन्‍त धरि‍ मोड़ अएबाक चाही, घटना सभमे आकस्‍मि‍ता होएबाक चाही, से नै‍‍ छैक।
पोथीक भाषा खाँटी लो‍कक भाषा थि‍क, कि‍ताबी भाषा नै‍‍ थि‍क। सेहो एकटा वि‍शि‍ष्‍ट आ महत्‍वपूर्ण बनबैत छैक। साहि‍त्‍यमे एहेन घर-आँगनक पात्र नै‍‍ आएल छल, से सभ प्रवेश कएलक अछि‍।
भारतमे गरीबी वि‍शाल अछि‍। एकर नि‍यति‍ बदलतैक, मंद गति‍सँ बदलतैक। एकर उनटा ऐ‍मे अछि‍।
पोथी पढ़ि‍ गेलौं। से एकर सफलताक सूचक थि‍क।

डयोढ़
१० ०६ २०१०

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