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Saturday, April 7, 2012

अनुभूतिः एकटा पाठकीय प्रतिक्रिया- उषाकिरण खान




जखन पन्ना जी लिखल कथा संग्रह ‘अनुभूति’ हमरा हाथमे आएल तखन अतिशय प्रसन्नता भेल। किएक तँ पन्ना जीक संगे हम कएक बेर अस्सीक दशक मे संगहि कथा पाथ कएने छलहुँ। हुनका कथाक मानसिक धरातल आ लेखकीय सावधानी बूझल छल। कथाकारक अनुभूतिक परिचय छल स्थिरचित्तक बुझनुक लेखिका सहजहि श्रोता एवं पाठक सँ सोझा सोझी गप्प करैत छथि। अनुभूतिक वेष्टन मोनक आगाँ पाछाँ रहैत छन्हि, तैं कथाक विकास एकटा सुष्पष्ट विचार यात्रा जकाँ छन्हि। पन्ना जी अनेक परिवेशक कथा लिखैत छथि। ठोस धरातल पर चलय बाली आइ काल्हिक स्त्रीक कथा ओ संवेदना संग नहि पएरक धमक संगे लिखने छथि। जेना ‘सेवानिवृत्ति’। सेवानिवृत्तिक पश्चात् संतान आ स्वजन परिजन मुँह बओने रहैत छथि, जीवन चरित कमाई आ बचत के कोना आलसात कए लेल जाए तकर ब्योंत मे लागल रहैत छथि मुदा वृद्ध माता पिताक चिंता नहिये टा करैत छथि। पन्ना झा जीक कथाकार स्वानुभूति केँ सोझाँ धए टा देलन्हि अछि ओकरा विवछओलन्हि अछि नहि। इएह हिनक विशेषता छन्हि। अपन दृढ़ पद चाप छोड़ब। सेवानिवृत्ति कथाक चर्च हम बारंबार करए चाहैत छी, ओ कथा बूँद मे समुद्र तँ थिके, एकटा पइघ संदेश दैत अछि। मनहि ओ स्वयं दुलारपुर सन नगरक कात बला गामक बेटी छथि तरौनी सन बुद्धिजीवी गामक पुतहु परंच मिथिलाक असूर्यम्पश्या ग्राम ललनाक ज्ञान छलन्हि, कलकत्ता जाए आ ओतए शिक्षा प्राप्त कए, ओतुक्का सामाजिक जीवन के अनुभव लए जे किछु अपना क्षेत्रक विकासक कामना कएलन्हि तकर सत्व ओ ‘सेवानिवृत्ति’ कथामे देने छथिन्ह, एकटा गाम जे आदर्श अछि, विद्यालय, अस्पताल इत्यादि छैक महाविद्यालय नहि छैक। महिला महाविद्यालय फोलब ‘हाइ-रिस्क’ काज छैक, छात्रा जुटतैक कि नहि? मुदा कल्पना शील लेखिका आधुनिक शिक्षाक आवश्यकता बलें महाविद्यालय फोललनि आ सफल भेलीह। कथामे स्वयं कथानायिका श्राद्धा केर विकास क्रमशः भेल छन्हि ओहिना जेना हुनक महिला शिक्षाक प्रयोजनक।
आइ काल्हि शिक्षा सभक जन्मसिद्ध अधिकार छैक तकर कानूनी व्याख्या खूब प्रचारित भऽ रहल छैक। गुल्ली-डंटा खेलए बला बालकसँ लए गइचरवाही मे खैनी ठोकए बला नेन्ना सभ केँ धऽ कऽ स्कूल आनल जाइत छैक। भनहि ओ लोकनि मिड डे लंच लऽ कऽ पड़ा जाइत छथि। लेखिका कमौशा कथामे एकटा निरसय परसनक बालक निरसू केँ अपना संगे आनि गृहकार्यमे लगौलनि आ ओकरा शिक्षा देमए लागलीह। मुदा जखन ओ स्वस्थ सबल बला भऽ गेल। हिनकर सभटा शिक्षा बिसरि पुनः परिवारक अंतहीन जालमे ओझरा। कथामे कचोटक मात्रा स्वल्प छैक आ कमजोर वर्गक दारूण स्थितिक मात्रा अधिक छैक प्रायः सभकेँ बूझल छैक जे व्यक्तिगत आ सामाजिक प्रयाससँ गामे टा नहि घर सेहो खुशहाल आ चिंताहीन हेतैक मुदा से नहि होइत छैक। दूरदृष्टिक अभाव मे ग्रामीण अपन हर्ज करैत अछि, ओकरा अनकर दृष्टि केर लाभ लेबाक क्षमता नहि छैक। क्रमशः आधुनिक होइत समाजक एकटा सटीक कथा अछि-‘पुनरावृत्ति’ चारूकात लौह कवार लागल हो कतहुँ सँ हवाक सिहकी नहि प्रवेश करैक, सूर्यदेवक किरण नहि प्रवेश करैक तैं कि भोअ-साँझक अस्तित्व मेटा जाएत? नहि ने? न मिथिला मे प्रकाश आएल। पति सँ अकारणे प्रताड़ित स्त्री पिताक आशीर्वाद सँ स्वाबलम्बी भऽ जाइत छथि। पुत्रीक शिक्षाक प्रति सजग तँ छथि मुदा हुनकर भाग्य अपने सन होएतैन्ह से नहि बिचारने छलीह। मुदा अधिक आगाँ ससरल समय मे बेटी सुधा मान्यता केँचुल उतारि फेकलक आ स्पष्ट विचार संगे आगाँ पएर बढ़ओलक, मनहि ओ परिस्थिति जन्य पुनरावृत्तिक शिकार भेलीह मुदा सिनुर चुड़ी आ मिथ्या संस्कार केँ निषेध कएलन्हि। ओ उहापोहक अन्हारसँ उबरि एकटा सेविका सँ उद्गार व्यक्त करैत छथि जे माथ हल्लुक करक लेल- ‘एक कप चाय बना दे’
पन्ना जीक लेखिका मनोविज्ञानविद् छथिन्ह से- ‘असमान्य केँ सनक सामान्य केस हिस्ट्री बला कथा पढ़ि परिलक्षित होइत अछि। अही वजनकेँ कथा छैक सरोकार। पति-पत्नी संगे रहथि, दुनू एके शिक्षा प्राप्त करैथ आ एके जीविका मे संलग्न रहथि तथापि स्त्रीपर परिवार, समाज आ आजीविका तेहराएल बोझ रहैत छैक आ पति निश्चिंत; ई अजुका त्रासदी छैक जकरा सँ प्रत्येक शिक्षिताजूझैत अछि तँ मूल्यांकनक’ नायिका किएक ने जूझती?
’नीति प्रकरण’ कथामे ‘बिचमाइनक’ भूमिका महत्वपूर्ण छैक? जकर अप्पन घर बिगड़ल रहैत छैक ओ अनकर सुखी घर उजाड़य पर तुलल रहैत अछि। समय रहितहि यदि पति-पत्नी ई बूझि लेथि तखन कएक टा परिवार विघटित होअऽ सँ बाँचि जाएत। सघन संवेदनाक कथा छैक- ‘बऽर घुरिए गेल’। कतेको गीत कवित्त लिखलनि कवि विद्यापति, पं. हरिमोहन झा, यात्रीजी तथापि एकटा आडम्बर पूर्ण समाज नायक अविश्वस्तरीय, तरल प्रकारक वस्तुक अस्तित्व आइयो अछि। मिथ्या अहंकार, घोर लिप्साक प्रतीक मिथिलाक सर्वाध्जिक सोचबा पर विवश करैत छैक।
पन्ना जीक प्रत्येक कथा किछुने कि अनुभव करबापर विवश करैत छैक आ तैं कथा-संग्रहक नामकरण अनुभूति बहुत नीक। एकटा नयनाभिराम आ बीछल पौथी मैथिली मे आबए से स्वागत योग्य अछि। प्रत्येक छोट कथा जे या तँ आकाशवाणीक लेल लिखल गेल आ कथा गोष्ठी मे पढ़बाक लेल लिखल गेल अछि महत्वपूर्ण। एकदम बूंदमे समुद्र। कथा, कथा सूत्र जकाँ बुझाइत अछि। पन्ना जी केँ हम आग्रह करबनि जे पलखति पाबि आब कथा सूत्रक विस्तार करथु आ पूर्ण कथा लिखथु जाहिसँ पाठकक छाँक पुस्तै।
कथा संग्रह फ्लैपपर वांछित अवांछित शब्द संचयन छैक जाहिसँ बचल जा सकैत छलैक। ‘दू आखर’ लेखिकाक दृष्टिक निर्विविवाद टिप्पणी अछि आ हुनक स्वयं केर विकासक एकटा संक्षिप्त सूचना। पन्ना झा जी जन नन कन्त्ये वर्सियल व्यक्तित्वक जे अनुभूति सबकम हाथमे अछि से उत्तर आधुनिक मिथिलाक निर्माणक अनुभूति छैक जाहिमे बालक-बालिका युवजन आ वृद्ध-वृद्धा, दादा-दादी सब छथि। अर्थात् उत्तर आधुनिक विचार एसकरूआ नहि अछि, सभाराज बला परिवारक कामना करैत अछि समाज निर्वीथ नहि अछि, मदतिक हाथ चारू भागसँ बढ़ैत अछि।
पन्ना जीक लेल शुभकामना।  

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