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Sunday, April 8, 2012

मैथिली उपन्यासपर अंग्रेजी साहित्यक प्रभाव- गजेन्द्र ठाकुर


मैथिली उपन्यासपर अंग्रेजी साहित्यक प्रभाव
उपन्यासक आरम्भ: वाणभट्टक कादम्बरी राजा शूद्रकक विदिशानगरीक वर्णनसँ प्रारम्भ होइत अछि। एकटा चाण्डाल अतीव सुन्दरी कन्या वैशम्पायन नाम्ना ज्ञानी सुग्गाकेँ लेने दरबार अबैत अछि आ प्रारम्भ होइत अछि सुग्गाक खिस्सा। चांडालक बस्ती पक्कणमे कियो भिखमंगा नै, कियो चोर नै, ओतुक्का राजा व्याघ्रदेव स्वयं रस्सी बँटैत छथि। संस्कृतक एहि उपन्यास नामसँ मराठीमे उपन्यासकेँ कादम्बरी कहल जाइत अछि। उपन्यासक बुर्जुआ प्रारम्भक अछैत एहिमे एतेक जटिलता होइत अछि जे एहिमे प्रतिभाक नीक जकाँ परीक्षण होइत अछि। उपन्यास विधाक बुर्जुआ आरम्भक कारण सर्वांतीजकडॉन क्विक्जोट”, जे सत्रहम शताब्दीक प्रारम्भमे आबि गेल रहए, केर अछैत उपन्यास विधा उन्नैसम शताब्दीक आगमनसँ मात्र किछु समय पूर्व गम्भीर स्वरूप प्राप्त कऽ सकल। उपन्यासमे वाद-विवाद-सम्वादसँ उत्पन्न होइत अछि निबन्ध, युवक-युवतीक चरित्र अनैत अछि प्रेमाख्यान, लोक आ भूगोल दैत अछि वर्णन इतिहासक, आ तखन नीक- खराप चरित्रक कथा सोझाँ अबैत अछि। कखनो पाठककेँ ई हँसबैत अछि, कखनो ओकरा उपदेश दैत अछि। मार्क्सवाद उपन्यासक सामाजिक यथार्थक ओकालति करैत अछि। फ्रायड सभ मनुक्खकेँ रहस्यमयी मानैत छथि। ओ साहित्यिक कृतिकेँ साहित्यकारक विश्लेषण लेल चुनैत छथि तँ नव फ्रायडवाद जैविकक बदला सांस्कृतिक तत्वक प्रधानतापर जोर दैत देखबामे अबैत छथि। नव-समीक्षावाद कृतिक विस्तृत विवरणपर आधारित अछि। एहि सभक संग जीवनानुभव सेहो एक पक्षक होइत अछि आ तखन एतए दबाएल इच्छाक तृप्तिक लेल लेखक एकटा संसारक रचना कएलन्हि जाहिमे पाठक यथार्थ आ काल्पनिकताक बीचक आड़ि-धूरपर चलैत अछि।
अंग्रेजी उपन्यासक वाद: उत्तर आधुनिक, अस्तित्ववादी, मानवतावादी, ई सभ विचारधारा दर्शनशास्त्रक विचारधारा थिक। पहिने दर्शनमे विज्ञान, इतिहास, समाज-राजनीति, अर्थशास्त्र, कला-विज्ञान आ भाषा सम्मिलित रहैत छल। मुदा जेना-जेना विज्ञान आ कलाक शाखा सभ विशिष्टता प्राप्त करैत गेल, विशेष कए विज्ञान, तँ दर्शनमे गणित आ विज्ञान मैथेमेटिकल लॉजिक धरि सीमित रहि गेल। दार्शनिक आगमन आ निगमनक अध्ययन प्रणाली, विश्लेषणात्मक प्रणाली दिस बढ़ल। मार्क्स जे दुनिया भरिक गरीबक लेल एकटा दैवीय हस्तक्षेपक समान छलाह, द्वन्दात्मक प्रणालीकेँ अपन व्याख्याक आधार बनओलन्हि।

अंगेजी उपन्यासक आरम्भ आ विकास: अंग्रेजी उपन्यास पिल्ग्रिम्स प्रोग्रेस- लेखक कथाक मुख्यपात्रक यात्राक आ ओ यात्रा मध्य आओल संघर्ष आ उत्साहक वर्णन करैत छथि।
डेनियल डिफ़ो अपन रॊबिन्सन क्रूसो उपन्यासमे मुख्यपात्रक साहसिक समुद्र यात्राक वर्णन करैत छथि
सैमुअल रिचर्डसनक पेमेला अंग्रेजी उपन्यासकेँ पारिभाषिक स्वरूप देलक।
एफ़्रा बेनक ओरूनोको उपन्यासक नायक कारी रंगक दास अछि तँ हुनक ’लव लैटर्स बिटवीन ए नोबल मैन एंड हिज सिस्टर’ मे सामंतक प्रेम कथाक वर्णन अछि।
हैनरी फ़िल्डिंग ’टॉम जोन्स’ मे सामंतवादक आलोचना केने छथि समाजक विकृतिक चित्रण केने छथि।
हेनरी जेम्स “द पोट्रेट ऑफ ए लेडी” मे कलात्मक प्रस्तुति लेल जिनगीक उपेक्षा करै छथि।
रिचर्डसन ’कलैरिस’ मे मनुष्यक मनोविज्ञानक तहमे जाइ छथि।
जोजफ कोनरेडक ’द शैडोलाइन’ क पात्र समाज आ जीवनक प्रति दृष्टिकोणक एक्द पक्षीय होएबापर सोचै छथि। 
डी.एच.लॉरेन्स “लेडी चैटर्लीज लवर” क पात्र विकृति लेल संस्कृति आधारित सभ्यताकेँ दोषी कहै छथि।
रुडयार्ड किपलिंगक उपन्यास “किम” यूरोपी साम्राज्यवादक लेल एकटा बहन्ना ताकि रहल अछि, यूरोपी सभ्यताकेँ ओ उच्च मानै छथि।
ई.एम.फोर्स्टरक “ए पैसेज टू इंडिया”मुदा शासक आ शासितक सम्बन्धकेँ व्याख्यायित करैत अछि।
मैथिली उपन्यासक आरम्भ आ विकास: हरिमोहन झाक कन्यादान आ द्विरागमन मिथिलाक बहुत रास सामाजिक व्यवस्थाकेँ सोझाँ अनैत अछि, महिला शिक्षा आ अंध-पाश्चात्यकरणक सेहो हास्य रसमे चित्रण आधुनिक अंग्रेजी उपन्यासक रीतिएँ करैत छथि।
यात्रीक बलचनमा यादव जातिक बलचनमाक आत्मकथ्यक रूपमे अछि। आर्थिक समस्या एकर मूल विषए छैक।  बलचनमा कोना एकटा टहल करैबलासँ आगू जाइत किसानक हक लेल जान दैत अछि ताधरिक कथा। कांग्रेस आदि पार्टीक विरुद्ध कम्यूनिस्ट पार्टीक प्रति स्पष्ट झुकाव यात्रीजीक रहल छन्हि। आ पारो बलचनमाक आर्थिक समस्याक विपरीत सामाजिक लक्ष्य तकैत अछि। किछु दिनुका बाद एहि उपन्यासकेँ लोक असली फिक्शनक रूपमे लेताह कारण अगिला पीढ़ीकेँ विश्वास नै हेतै जे एहनो कोनो क्रूर व्यवस्था सभ मानवजातिक मध्य होइत हेतै। आ तैँ एकर महत्व आर बढ़ि जाइत अछि- ओहि सभ व्यवस्था सभकेँ पेटारमे सुरक्षित रखबाक जिम्मेदारी। मुदा जहिया यात्रीजी ओहि समस्यापर लिखने छलाह तहियासँ ओ समस्या रहै आ ई उपन्यास ओहिमे सार्थक हस्तक्षेप कएने छल।
रमानन्द रेणुक दूध-फूल उपन्यास समाजक उपेक्षित वर्गकेँ सोझाँमे रखैत अछि आ कलात्मक उपस्थापन करैत अछि।
ललितक पृथ्वीपुत्र सेहो समाजक उपेक्षित वर्गकेँ सोझाँमे रखैत अछि। ई उपन्यास कृषक जीवनक आर्थिक समस्यापर सेहो आंगुर धरैत अछि।
लिली रे क पटाक्षेप वामपंथक वर्ग-संघर्षक उत्थान आ फेर ओकर दमनक कथा कहैत अछि आ देशक समस्यासँ साहित्यकार द्वारा स्वयंकेँ तत्काल जोड़बाक मार्ग प्रशस्त करैत अछि।
धूमकेतुक मोड़ पर सेहो वामपंथी विचारक आलोकमे सामाजिक-आर्थिक समस्याक कथा बैकफ्लैशमे कहैत अछि।
साकेतानन्दक सर्वस्वान्त बाढ़िक आ सरकारी नीति आ राहतक कथा अछि।
जगदीश प्रसाद मण्डलक मौलाइल गाछक फूल गामक, गामसँ पलायनक आ गलल व्यवस्थाक पुनर्जीवनक लेल समाधानक उपन्यास अछि।
चतुरानन मिश्रक कला कलादाइक माध्यमेँ गलल सामाजिक व्यवस्थापर प्रहार अछि।
शेफालिका वर्माक नागफाँस अंग्रेजक धरतीपर विचरण करैत अछि। धारा आ सीमांतक मिलन एहि जिनगीमे कहियो हेतै, कोनो जादू हेतै की?

आ अन्तमे : से जौँ गहींर नजरिसँ देखब तँ लागत जे अंग्रेजी उपन्यासकारक कृति ओहि समएक वाद आ दृष्टिकोणकेँ संग लऽ कऽ चलबाक प्रयास अछि। मुदा सिद्धान्तसँ प्रयोगक क्रममे किछु विशेषता स्वयमेव आबि जाइ छै। तहिना मैथिली उपन्यासक सेहो स्थिति अछि। रमानन्द रेणुक उपन्यास होअए वा शेफालिका वर्माक, ई तथ्य शिल्पमे स्पष्ट रूपसँ देखि सकै छी। लिली रे अपन कलमक धारसँ जेना अपन लग-पासक घटनाक, समाजक, राजनीतिक वर्णन करै छथि से अद्भुत तँ अछिये अंग्रेजी उपन्यास सभसँ एक डेग आगाँ जाइत अछि। ललित, यात्री आ धूमकेतु आर्थिक आ सामाजिक समस्याकेँ सोझाँ रखैत छथि, आ ओहि क्रममे कोनो तथ्यकेँ कोनो रूपेँ नुकबैत नै छथि। साकेतानन्द बाढ़िक समस्याकेँ सोझाँ रखै छथि। हरिमोहन झा अपन शैलीमे अंग्रेजी साहित्यक धारकेँ बहबैत छथि आ नायक द्वारा नायिकाकेँ देल पढाइक सिलेबसमे सेहो ई तथ्य सोझाँ अनैत छथि। चतुरानन मिश्र आ जगदीश प्रसाद मंडल कम्यूनिस्ट आन्दोलनसँ जुड़ल छथि, प्रायोगिक रूपमे, पार्टी स्तरपर, मुदा हिनकर दुनू गोटेक उपन्यास देखला उत्तर हमरा ई कहबामे कनेको कष्ट नै होइत अछि जे जाहि रूपमे यात्री आ धूमकेतु मार्क्सवादक बैशाखी लऽ उपन्यासकेँ ठाढ़ करै छथि तकर बेगरता एहि दुनू उपन्यासकारकेँ नै बुझना जाइत छन्हि। मार्क्सवादक असल अर्थ हिनके दुनूक रचनामे भेटत। कतौ पार्टीक नाम वा विचारधाराक चर्च नै मुदा जे असल डायलेक्टिकल मैटेरियलिज्म छैक तकर पहिचान, जिनगीक महत्वपर विश्वास, द्वन्दात्मक पद्धतिक प्रयोग आ ई तखने सम्भव होएत जखन लेखक दास कैपिटल सहित मार्क्सवादक गहन अध्ययन करत।

मैथिली उपन्यासक भविष्य : सभ जीवित भाषामे सभसँ बेसी रचना उपन्यासक होइत छै मुदा मैथिलीमे सभसँ कम उपन्यास लिखल जाइत अछि। जाहि रूपमे अंग्रेजी शिक्षा आ साहित्यक अध्ययन कऽ मैथिली साहित्यमे आओल नव पीढ़ीक संख्या बढ़त, मैथिली साहित्य अपन सामाजिक- आर्थिक- राजनैतिक आ सांस्कृतिक अंतर्दृष्टिक विकास कऽ सकत। वीणा ठाकुरक भारती, आशा मिश्रक उचाट आ केदारनाथ चौधरीक चमेली रानी-माहुर आ करार हमर एहि दृष्टिकोणक पुष्टि करैत अछि।

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